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हिमाचल उत्तराखंड लेह लद्दाख की व अन्य राज्यो के जंगलो की जड़ी बुटीयो के निचोड व मिश्रण से बनी हुई औषधिया के फॉर्मूले

FORMULA NO.1

For High-Low Blood Pressure and Cardiac Diseases

In this blog, we will give you information about high and low blood pressure symptoms and best Ayurvedic medicine for low and high blood pressure along with how to control blood pressure. We provide you the best medicine for blood pressure. You should know that pathologically there are two types of blood pressure:- high blood pressure (hypertension) and low blood pressure. Low blood pressure:- Hypotension causes vasodilatation of peripheral blood vessels which in turn leads to low blood pressure. Symptoms like restlessness, headache, lightheadedness, nausea etc. Here we will provide you the best treatment for low blood pressure.

Hypertension:- Pathological value of cholesterol deposited in peripheral and cranial blood vessels which causes narrowing of blood vessels and sclerosis. Cardiac output increases to compensate for their work, resulting in an increase in peripheral blood pressure, which we know as hypertension. You will get the best treatment for high blood pressure from us.
Symptoms: such as dizziness, heart pain, restlessness, heart attack, dizziness.

If untreated, high blood pressure and low pressure can lead to serious problems like hemiplegia, paralysis, brain hemorrhage, etc. Our medicinal ingredients of this formula and blood pressure medicine cures heart diseases, which controls blood pressure as well as normalizes blood cholesterol level and makes the body healthy.

MEDICINE QUANTITY IS CONFIDENTIAL.

NOTE:- If you are troubled by the problem of low and high blood pressure, then we are giving you the best medicine for blood pressure. Contact now for any questions and solutions.

हाई या लो बीपी में दिखते हैं ये 9 बदलाव, नजरअंदाज न करें (blood pressure ko kaise control kare)

जब कभी किसी को हाई या लो बीपी होता है तो शुरुआत में बॉडी में दिखते हैं ये 9 बदलाव, इनको नजरअंदाज न करें (blood pressure ko kaise control kare)

आजकल की तनाव और भागदौड़ से भरपूर जीवन में महिलाओं को कई तरह की लाइफस्‍टाइल से जुड़ी समस्‍याओं से दो चार होना ही पड़ता है, जैसे वजन का बढ़ना, डायबिटीज, अर्थराइटिस, थायरॉयड, आदि। इन सब के अलावा भी एक समस्‍या और है जिससे ज्‍यादातर महिलाएं बहुत परेशान रहती हैं और वह है ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या । इसमें लो हाई दोनों तरह का ब्‍लड प्रेशर शामिल है। यह भी आज की आधुनिक लाइफस्‍टाइल की सबसे बड़ी समस्या है। खान-पान का गलत समय , स्‍ट्रेस होना , एक्‍रसाइज की कमी और ठीक से नींद पूरी ना होना के अलावा बॉडी में सोडियम इस समस्‍या का एक मुख्‍य कारण है। इसे हम साइलेंट किलर के नाम से भी जानते है परन्तु शुरुआत में इसका कोई भी लक्षण आसानी से दिखाई नहीं देता है। जब लक्षण दिखाई देते है तो बहुत देर हो चुकी होती है। लेकिन इसे आप शुरुआत में महसूस भी कर सकती हैं। इसलिए इसके लक्षणों के बारे में आपको जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि समय पर इसकी जानकारी लेकर आप इस समस्‍या से आसानी से बच सकते है ।

हाई ब्‍लड प्रेशर

हाई ब्‍लड प्रेशर एक गंभीर समस्‍या है। इसे दूसरे शब्दो में हाइपरटेंशन भी कहते हैं। और इसे कंट्रोल करने के उपायों के बारे में आपको जानकारी होना बेहद जरूरी है। क्‍योंकि अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो बॉडी के अन्‍य अंगों को नुकसान होने लगता है। यह बीमारी किसी भी उम्र छोटे एवं बड़े व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। जी हां हाई ब्‍लड प्रेशर या हाइपरटेंशन , एक क्रोनिक मेडिकल कंडीशन है जिसमें आपकी धमनियों में ब्‍लड का प्रेशर बढ़ जाता है। प्रेशर बढ़ने के कारण, ब्‍लड की धमनियों में ब्‍लड सर्कुलेशन को नियमित बनाये रखने के लिये हार्ट को नॉर्मल से अधिक काम करना पड़ता है। आमतौर पर 120/80 को नॉर्मल ब्लड प्रेशर माना जाता है,

लो ब्‍लड प्रेशर

ब्लड प्रेशर बताता है कि आपका हार्ट कितनी ताकत के साथ ब्‍लड को आपकी बॉडी की तरफ खींचता है। आपका लो ब्लड प्रेशर को लेकर अक्सर हम सभी परेशान रहते हैं और ज्‍यादातर लोग हाई ब्‍लड प्रेशर और उससे जुड़े खतरे को लेकर परेशान रहते हैं। लेकिन लो ब्लड प्रेशर किसी भी व्यक्ति के लिए खतरनाक हो सकता है,

  • हाई बीपी में बॉडी में बदलाव
  • हाई बीपी में शरीर में और सिर में पसीना आने लगता है
  • सीने में आपको दर्द और भारीपन महसूस होना ।
  • तनाव और थकावट हमेशा बनी रहती है।
  • हाई बीपी में अचानक से आपको घबराहट होने लगती है।
  • चेहरे पर या पैरों एवं हाथ में अचानक से सुन्नपन आना।
  • आंखों से भी धुंधला दिखाई देना और खुद को कमजोर महसूस करना ।
  • कुछ भी समझने या बोलने में कठिनाई का अनुभव होता है।
  • आपको सांस लेने में परेशानी महसूस होती है।
  • लो बीपी में बॉडी में बदलाव
  • पैरों और हाथ के तलवे ठंडे पड़ने लगते हैं
  • आंखों का कलर हल्‍का सा रेड होने लगता है
  • ह्रदय की धड़कने बढ़ जाती हैं।
  • सांसे तेज हो जाती है।
  • आपको अचानक से जी मचलने लगता है और प्यास लगती है।
  • आंखों से धुंधला धुंधला दिखाई देने लगता है।
  • त्वचा में धीरे-धीरे पीलापन आने लगता है।

FORMULA NO.2

FOR DIABETES MELLITUS

Deficiency of insulin causes Diabetes Mellitus which occurs due to disorder or Pancreas and Spleen. Symptoms of this disease:- Poly Urea, Glyco Urea, Blood Sugar, Vertigo, Body ache, Eyesight weakness, Backache, Joint-pain, General Malaise.
If not treated then it becomes chronical & that causes cardiac diseases, Renal diseases, Hypertension, Decreases the Healing power of wound and converts into unhealed ulcers. The medicinal contents of this formula are very useful for diabetic patients. This medicine cures diabetes and also both Insulin Depended on Diabetes Mellitus (IDDM) and Non-Insulin Depended on Diabetes Mellitus (NIDDM) disorders and improves pancreatic functioning and normalizes the blood sugar values and makes the body healthy.
MEDICINE QUANTITY IS CONFIDENTIAL.

मधुमेह ( शुगर ) डायबिटीज

जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्त र बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
और यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, नींद पूरी नहीं लेते, अनियमित खानपान है और ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।
पिछले कुछ समय में भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। यहां तक कि आज के दौर में बच्चे से जवान और बुढ़ापे तक लेकर व्यस्क हर कोई इसकी चपेट में आ रहा है। आलम यह है कि भारत को विश्व की डायबिटीक कैपिटल के रूप में जाना जाता है। डायबिटीज देखने में यह समस्या भले ही आम हो, लेकिन इसके कारण व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां होती है। तो चलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि वास्तव में मधुमेह क्या है मधुमेह जिसे लोग डायबिटीज के रूप में भी जानते हैं, वास्तव में चयापयच संबंधी बीमारियों का एक समूह है, जिसमें लंबे समय तक रक्त शर्करा का स्तर उच्च होता है। जब शरीर में पैनक्रियाज नामक ग्रंथि इंसुलिन बनाना बंद कर देती है तो व्यक्ति मधुमेह पीडि़त होता है। इंसुलिन ही रक्त में ग्लूकोज को नियंत्रित करने का काम करता है। आमतौर पर मधुमेह दो प्रकार का होता है। टाइप 1 डायबिटीज में लक्षणों का विकास काफी तेजी से होता है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज में लक्षणों का विकास बहुत धीरे−धीरे होता है और लक्षण भी काफी कम हो सकते हैं। डायबिटीज की समस्या वंशानुगत हो सकती है। वैसे आजकल खराब लाइफस्टाइल व खानपान की गलत आदतों के कारण भी व्यक्ति मधुमेह की गिरफत में आ रहा है।
डायबिटीज की पहचानें और लक्षण क्या है?

मधुमेह ग्रस्त व्यक्ति को बार−बार पेशाब आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर में इकट्ठा हुआ शुगर पेशाब के रास्ते बाहर निकलता है। गर्मी के मौसम में पानी की अधिक प्यास अधिक लगती है। लेकिन अगर आपको बार−बार पेशाब आ रहा है और पानी की प्यास कुछ आवश्यकता से अधिक लगती है तो यह मधुमेह का संकेत है।
लगातार भूख लगना जो व्यक्ति मधुमेह पीडि़त होता है, उसकी भूख सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा काफी अधिक होती है। उसे बार−बार भूख लगती है और वह हरदम कुछ खाना चाहता है।

वजन कम होना
मधुमेह की एक पहचान यह है कि जब व्यक्ति इसकी चपेट में आता है तो उसका वजन तेजी से कम होने लगता है। वैसे थॉयराइड होने पर भी व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ता या घटता है। ऐसे में टेस्ट करवा लेना अच्छा विचार है।

आंखों में धुंधलापन
मधुमेह का विपरीत प्रभाव आंखों पर भी देखने को मिलता है। ऐसे व्यक्ति की नजर कमजोर हो जाती है और उसे धुंधला नजर आने लगता है।

अत्यधिक थकावट
अधिक मेहनत करने पर थकान होना सामान्य है, लेकिन अगर आपको अकारण ही थकान का अहसास हो रहा है या फिर पूरी नींद लेने और आराम करने के बाद भी आप थका हुआ महसूस कर रहे हैं तो इससे यह मधुमेह का संकेत है।

घाव का जल्द ठीक न होना
हर व्यक्ति के शरीर में यह क्षमता होती है कि चोट लगने पर वह कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन मधुमेह पीडि़त व्यक्ति के शरीर की यह क्षमता धीरे−धीरे कम होती जाती है। जिसके कारण हल्की सी चोट लगने पर भी वह जल्द ठीक नहीं होती। कई बार तो चोट लगने पर वह घाव में तब्दील हो जाती है।
इसे भी पढ़ें: गर्मी के मौसम में वजन कम करने में मददगार है बर्फ, जानिए कैसे
खुजली या त्वचा रोग
मधुमेह के कारण व्यक्ति को स्किन में खुजली होती है या वह कई तरह के त्वचा रोगों से ग्रस्त हो जाता है।
सिरदर्द
लगातार सिर में दर्द होना भी मधुमेह के शुरूआती लक्षणों में से एक है।

खाली पेट शुगर लेवल कितना होना चाहिए?

क्या है नॉर्मल रीडिंग: आमतौर पर जो लोग पूरी तरह स्वस्थ होते हैं और जिन्हें डायबिटीज की परेशानी नहीं होती, उनमें नॉर्मल ब्लड शुगर का लेवल 70-99 मिलीग्राम / डीएल के बीच होता है। बता दें कि ब्लड शुगर का ये स्तर फास्टिंग में होता है, यानि कि व्यक्ति आठ घंटे या उससे अधिक समय से भूखा होता है।
और खाना खाने के आधा घण्टे बाद ये मात्रा बढ़कर 110-140 तक हो जाती है।
डायबिटीज होने के कारण क्या है?

मधुमेह कैसे होता है

जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है।

इन उत्तराखण्ड की सर्वश्रेष्ठ औषधियों को सेवन करने से डायबिटीज रोग को हमेशा के लिए नष्ट करके जीवन में कभी दवाई या बाहर से इंसुलिन लेने की आवश्यकता नहीं होगी। धात्यअग्नि (पैंक्रियाज) की कमजोरी नष्ट करके हमेशा के लिए शरीर को स्वस्थ बनाए रखेगा

FORMULA NO.3

FOR GNAECOLOGLCAL PROBLEMS

Leucorrhea, Metrorrhea, Menstruation disorder, Dysmenorrhea, General Malaise, Weakness, Pale Face, Burning Sensation in the hands and feet, Cardiac Weakness, Constipation, Joint Pains. Distorted Vata causes dysmenorrhea. Big belly due to deposition of fat. The medicinal contents of this formula are very useful in these problems. This medicine removes these problems and generates fresh blood, regulates the menstruation. During
Pregnancy it is very useful and delivery occurs normal, at proper time, no pale face, anemia after delivery. If not treated these ladies problems develop into Psychiatric problems like Hysteria, Hypertension, Hyperacidity, Piles etc. This formula removes all Gynaecological problems and makes the body healthy.
MEDICINE QUANTITY IS CONFIDENTIAL.

स्त्री रोग

यह एक हार्मोनल सिंड्रोम है, जो कि आपकी अंडाशयों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती है। पी.ओ.सी तब होता है, जब हॉर्मोन व्यवस्था असंतुलित होने लगती है, जिससे ओव्यूलेशन अनियमित हो जा महिलाओं को प्रभावित करता है।”

पी.ओ.सी के लक्षण
इस बीमारी की सबसे बड़ी पहचान में से एक है अचानक से वजन का बढ़ना, माहवारी अनियमित हो जाना, चेहरे पर मुंहासे निकलना और साथ ही गंजापन होना। पी.ओ.सी से प्रभावित महिलाओं के शरीर पर बाल भी अधिक बढ़ने लग जाते हैं। यह हर महिला में अलग-अलग हो सकती है। ये सभी समस्या महिलाओं में बहुत आम हैं और यही वो कारण है जिससे इस बीमारी का पता चलता है। इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण है कि लगभग 10 में से पांच फीसदी महिलाओं को पी.ओ.सी. के कारण मधुमेह, उच्च, रक्तचाप, हृदय रोग और बांझपन का खतरा हो जाता है।

इस बीमारी का वास्तविक कारण ज्ञात नहीं हैं मगर कहा जाता है कि ये हेरिदिटी होता है यानि यह बीमारी परिवार से मिलती है। शरीर में इंसुलिन हॉर्मोन का सामान्य से उच्च स्तर होना भी पी.ओ.सी से जोड़ा जाता है।

ल्यूकोरिया को महिलाएं न करें नजरअंदाज

ल्यूकोरिया या लिकोरिया औरतों को होने वाला एक रोग है, जिसे श्वेत प्रदर भी कहते हैं। इस रोग से ग्रस्त महिला की योनि से बहुत ज्यादा मात्रा में सफेद बदबूदार पानी निकलता है, जिसे वेजाइनल डिस्चार्ज कहते हैं। इस परेशानी की वजह से महिला का शरीर दिन-ब-दिन कमजोर होने लगता है। इस रोग को हम कोई बीमारी नहीं कह सकते। यह एक तरह का योनि इंफैक्शन और प्रजनन अंगों में सूजन की निशानी है जो अन्य कई रोगों को न्योता देती है। 

भारतीय महिलाएं इस समस्या की आम शिकार हैं, जिसका एक बड़ा कारण उनकी हिचकिचाहट है। शर्म के चलते वह इस समस्या पर खुलकर बातचीत नहीं कर पाती या फिर नॉर्मल बात समझ कर टाल-मटोल कर देती हैं। इस प्रॉब्लम के बढ़ने से योनि या गर्भाश्य ग्रीवा से श्लेष्मा (बलगम) निकलने लगता हैं जो शरीर को कमजोर करने लगता है। 

कारण

वैसे यह इंफैक्शन प्राइवेट पार्ट की सफाई न रखने से होती है। इसके अलावा ज्यादा उपवास, अश्लील बात-चीत, रोगग्रस्त पुरुष से संबंध बनाने, इंटरकोर्स के बाद योनि को साफ न करना, अंडरग्रामैंट गंदे व रोज न बदलने, यूरीन के बाद योनि को पानी से न धोने या बार-बार गर्भपात करवाना भी इसके प्रमुख कारण है। सफेद पानी का एक और कारण प्रोटिस्ट है जोकि एक सूक्ष्म जीवों का समूह है।

लिकोरिया के लक्षण

  • शरीर पर असर
  • हाथों, पैरों और कमर में दर्द
  • पिंडलियों में खिंचाव  
  • योनि और उसके आस-पास वाली जगह पर खुजली
  • शरीर में कमजोरी और थकान 
  • सुस्ती पडऩा, चिड़चिड़ापन, शरीर में सूजन या भारीपन
  • चक्कर आना 

उत्तराखण्ड की इन औषधियों का सेवन करने से महिला का शरीर रोग मुक्त हो जाता है

आयुर्वेद फार्मूला चिकित्सा योग्यता संवैधानिक है।

FORMULA NO.4

For Allergic Disorders and Asthma

Denatured mucus released from frontal sinuses and poured into NASO-pharynx and pro-pharynx. When it pours into the nasal pharynx, it is called cold or Rhinitis. When it pours into oral- pharynx, then it is called Corzyea. These are due to Dust & unfavorable smell, called Allergy. Symptoms like sneezing, septet defect, nasal polyps, Headache, Migraine, Pharyngeal irritation etc.
Asthma occurs due to inflammation and obstruction of Bronchi and Trachea, which narrows the Bronchial tree and results in Dysphonia, Productive and dry cough, Lungs congestion, Deep breathing, congestive chest, weakness, Restlessness etc. The medicinal contents of this formula are useful in treating the above diseases and eradicates these problems forever.
THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATION IS CONFIDENTIAL.

 नजला, अस्थमा, ( एलर्जी ) श्वांस रोग

दमा फेफड़ों की ऐसी बीमारी होती है जिसके कारण व्यक्ति को साँस लेने में कठिनाई होती है। यह फेफड़ों में वायुमार्ग से जुड़ी एक बीमारी है। दमा होने पर श्वास नलियों में सूजन होकर श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। इन वायुमार्गों यानी ब्रॉनकायल टयूब्सके माध्यम से हवा फेफड़ों के अन्दर और बाहर जाती है और अस्थमा में यह वायुमार्ग सूजे हुए रहते हैं।
जब यह सूजन बढ़ जाती है और वायुमार्ग के चारों ओर मांसपेशियों के कसने का कारण बनती है और साँस लेने में कठिनाई के साथ खाँसी, घरघराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।
खाँसी के कारण फेफड़े से कफ उत्पन्न होता है लेकिन इसको बाहर लाना काफी कठिन होता है। अनेक लोग चाहते हैं कि अस्थमा का जड़ से इलाज करें इसिलए आइए जानते हैं कि आपको अस्थमा का जड़ से इलाज करने के लिए क्या करना चाहिए।

अस्थमा या दमा क्या है? (What is Asthma?)

आयुर्वेद में अस्थमा को तमक श्वास कहा गया है। यह वात एवं कफ दोष के विकृत होने से होता है। इसमें श्वास नलियाँ संकुचित होता है जिसके कारण छाती में भारीपन का अनुभव होता है तथा साँस लेने पर सीटी जैसी आवाज आती है। आप
आयुर्वेदिक तरीके से अस्थमा का उपचार

अस्थमा के प्रकार (Types of Asthma):

  • पेरिनियल अस्थमा (Perennial asthma)
  • सिजनल अस्थमा (Seasonal Asthma)
  • एलर्जिक अस्थमा (Allergic Asthma)
  • नॉन एलर्जिक अस्थमा (Non Allergic Asthma)
  • अकुपेशनल अस्थमा (Occupational Asthma)
  • एलर्जिक अस्थमा (Allergic Asthma)- के दौरान किसी विशेष चीज से एलर्जी होती है जैसे धूल मिट्टी के सम्पर्क में आते ही साँस फूलने लगती है या मौसम में बदलाव के कारण भी दमा हो सकता है।
  • नॉन एलर्जिक अस्थमा (Non Allergic Asthma) – जब कोई बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत सर्दी या खाँसी जुकाम लगने पर यह होता है।
  • सिजनल अस्थमा (Seasonal Asthma)- पूरे वर्ष न होकर किसी विशेष मौसम में पराग कण या नमी के कारण होता है।
  • अकुपेशनल अस्थमा (Occupational Asthma)- यह कारखानों में काम करने वाले लोगों को होता है।

अस्थमा के लक्षण (Symptoms of Asthma in Hindi)

दमा या अस्थमा का मूल लक्षण सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके अलावा भी और लक्षण होते हैं जिनके बारे में आगे लिखा जा रहा है। इन लक्षणों की पहचान कर आप अस्थमा का उपचार कर सकते हैंः-

  • बार-बार खाँसी आना। अधिकतर दौरे के साथ खाँसी आना।
  • साँस लेते समय सीटी की आवाज आना।
  • छाती में जकड़ाहट तथा भारीपन।
  • साँस फूलना।
  • खाँसी के समय कठिनाई होना और कफ न निकल पाना।
  • गले का अवरूद्ध एवं शुष्क होना।
  • बेचैनी होना।
  • नाड़ी गति का बढ़ना।

अस्थमा को रोकने के उपाय (How to prevent Asthma in Hindi)

अस्थमा मरीजों के लिए कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • दमा के मरीज को बारिश और सर्दी और धूल भरी जगह से बचना चाहिए। बारिश के मौसम में नमी के बढ़ने से संक्रमण बढ़ने की संभावना होती है।
  • ज्यादा ठण्डे और ज्यादा नमी वाले वातावरण में नहीं रहना चाहिए।
  • घर से बाहर निकलने पर मास्क लगा कर निकलें।
  • सर्दी के मौसम में धुंध में जाने से बचें।
  • ताजा पेंट, कीटनाशक, स्प्रे, अगरबत्ती, मच्छर भगाने का कॉइल का धुआँ, खुशबुदार इत्र से जितना हो सके बचे।
  • धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों से दूर रहें।

इसके अलावा जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने पर इन दमा के प्रभाव को कम किया जा सकता है-आपको यह ध्यान रखना है।

  • गरिष्ठ भोजन, तले हुए पदार्थ न खाएँ।
  • अधिक मीठा, ठण्डा पानी, दही का सेवन न करें।
  • अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए।
  • कोल्ड ड्रिंक, ठण्डा पानी और ठण्डी ठण्डे वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए।
    अस्थमा में हानिकारक है।

अस्थमा का घरेलू उपचार (Home Remedies for Asthma in Hindi)

घरेलू उपचार के अनुसार कई ऐसे घरेलू उपाय हैं जिनके उपयोग से अस्थमा के इलाज में मदद मिलती है। पर अस्थमा हमेशा के लिए ठीक नहीं हो पाता हैं। मगर अस्थमा रोग अनुसार प्रकृतिक आयुर्वेदिक ओषधियाँ का फार्मूला का सेवन से अस्थमा रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाता हैं।

अस्थमा का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद मतानुसार तमक श्वास दूषित कफ से उत्पन्न होने वाला एक विकार है। कफ के आमाशय द्वारा फेफड़ो तथा श्वास नली में आने से यह रोग होता है। कफ को आमाशय में लाकर उसे चिकित्सा द्वारा बाहर निकाला जाता है। अस्थमा का जड़ से इलाज या अस्थमा का सफल उपचार (asthma ka ilaj) हो सके इसके लिए आप हमारे से पहाड़ों की प्राकृतिक ओषधियों आयुर्वेद फार्मूला सेवन करें

उत्तराखण्ड की इन औषधियों का सेवन से ऊपर लिखे रोगों को जड़मूल से ठीक करके बुढापे तक शरीर को निरोग बनाए रखेगा.

FORMULA NO.5

For Children General Tonic

In children, hepatitis disorder causes indigestion, Constipation, Anaemia, Weakness oi brain, Pale face, the problem in learning and retaining, body weakness, laziness, cough, cold, pneumonia, etc. impure blood causes black patches, boils on the face, Eyesight weakness etc. The medicinal contents of this formula are very useful in these problems in children and improve the appetite and generate the fresh blood. The child becomes Solid and Healthy. 
MEDICINE QUANTITY & DOSE IS CONFIDENTIAL.

FORMULA NO.6

FOR RENAL CALCULUS (STONE)

Kidney stone, urinary bladder or gallbladder stone causes pain at corresponding regions. Symptoms like:- Dysuria, painful micturition, recurrent micturition with burning sensation, Haematuria, obstructive micturition, recurrent pyrexia, backache, pain radiates loin to the groin, Renal disorders. These also cause digestive problems like gas, Acidity, and Anaemia. The medicinal contents of this formula crush the stone and excrete it through urine and also prevents the reoccurrence of calculi formation.
THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATION IS CONFIDENTIAL.

 गुर्दे की पथरी (Kidney Stone) की समस्या आज कल बहुत सारे लोगों में देखने को मिल रही है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में 15 प्रतिशत लोगों को गुर्दे की पत्थरी की समस्या है और जिनमें से 50 प्रतिशत लोगों में इसका बीमारी का अंत किडनी के खराब होने के साथ होता है।
यह आंकड़े इस समस्या की भयावह स्थिति को बयां करने के लिए पर्याप्त हैं, लेकिन इसके बावजूद यह दुर्भाग्यवपूर्ण है कि अधिकांश लोगों को इस समस्या की पूर्ण जानकारी नहीं होती है। इसी कारण वे इसका सही इलाज नहीं करा पाते हैं। यदि उन्हें इसकी संपूर्ण जानकारी होती तो शायद वे भी इस बीमारी से निजात पा सकते। यदि आप भी इस जानकारी से वंचित हैं, तो आपको इस प्रस्तुत लेख को जरूर पढ़ना चाहिए।


क्या है गुर्दे की पथरी? (Meaning of Kidney Stone )


गुर्दे की पथरी को नेफ्रोलिथियासिस (nephrolithiasis) के नाम से भी जाना जाता है, जो खनिजों और लवणों (Salt) से बनी होती है और जिसका निर्माण मुख्य रूप से किडनी में होता है।
यह समस्या कई कारणों से हो सकती है और इसके काफी समय तक लाइलाज रहने पर यह मूत्र पथ (urinary tract) के उस हिस्से को प्रभावित कर सकती है- जो गुर्दे से मूत्राशय तक आता है।

गुर्दे की पथरी के कितने प्रकार हैं? (Types of Kidney Stone )

गुर्दे की पत्थरी मुख्य रूप से 4 प्रकार की होती है, जो निम्नलिखित हैं-

कैल्शियम स्टोन्स– अधिकांश गुर्दे की पथरी कैल्शियम स्टोन ही होती हैं, जो आमतौर पर कैल्शियम ऑक्सालेट (calcium oxalate) के रूप में होती है। ऑक्सालेट एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला पदार्थ है, जो भोजन में पाया जाता है और इसके साथ इसका निर्माण लीवर द्वारा प्रतिदिन किया जाता है। कुछ फलों और सब्जियों इसके साथ में नट्स और चॉकलेट में भी उच्च मात्रा में ऑक्सलेट होता है।

स्त्रावित स्टोन्स– स्त्रावित स्टोन (Struvite stones) किसी संक्रमण के कारण होते हैं, जो मुख्य रूप से मूत्र पथ (urinary track) में होता है। ये स्टोन जल्दी से बढ़ सकते हैं और काफी बड़े भी हो सकते हैं।

यूरिक एसिड स्टोन्स– यह स्टोन उन लोगों में अधिक होते हैं, जो पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन नहीं करते हैं या फिर जो उच्च प्रोटीन वाला भोजन करते हैं। यूरिक एसिड स्टोन (Uric Acid Stone) महिला की तुलना उन पुरूषों में अधिक होती है, जिनके मूत्र में एसिड की मात्रा अधिक होती है।

सिस्टिने स्टोन्स– हालांकि, यह किडनी स्टोन का ऐसा प्रकार है, जो काफी कम लोगों में होता है। मुख्य रूप से यह समस्या उन लोगों में होती है, जिन्हें कोई आनुवंशिकी विकार होता है। सिस्टिने स्टोन्स (Cysteine stones) की स्थिति में सिस्टिने नामक एसिड किडनी से यूरिन में लीक हो जाता है।

गुर्दे की पथरी के लक्षण क्या-क्या होते हैं? (Symptoms of Kidney Stones )

गुर्दे की पथरी के अपने कुछ लक्षण होते हैं, जो इस समस्या के होने का संकेत देते हैं। अत: यदि किसी व्यक्ति को निम्नलिखित लक्षण नज़र आते हैं तो उसे इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए और इसकी सूचना आयुर्वेदिक राजवैद्य जी औंर डॉक्टर को तुरंत देनी चाहिए-

मूत्र करते समय दर्द होना- यह पथरी रोग होने का सामान्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को मूत्र करते समय काफी दर्द होता है।

बार-बार मूत्र आना- यदि किसी व्यक्ति को बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है, तो उसे किडनी स्टोन हो सकता है। अत: व्यक्ति को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए

उल्टी का आना- कई बार ऐसा देखा गया है कि पथरी रोग होने पर व्यक्ति को उल्टी बार-बार होती है। हालांकि, उल्टी आने को गंभीरता से नहीं लिया जाता है, लेकिन इस स्थिति में व्यक्ति को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ताकि उसे किसी अन्य परेशानी का सामना न करना पड़े।

बुखार का होना- यदि किसी व्यक्ति को बुखार होता है, और वह किसी भी दवाई से ठीक नहीं होता है, तो उसे सूचना आयुर्वेदिक राजवैद्य जी और डॉक्टर को देनी चाहिए क्योंकि यह किडनी स्टोन का लक्षण हो सकता है।

मूत्र का रूक-रूक कर होना- यदि किसी व्यक्ति को मूत्र रूक-रूक के होता है, तो यह गुर्दे की तथरी का लक्षण हो सकती है क्योंकि यह इस समस्या के होने का संकेत देती है। इसी कारण किसी भी व्यक्ति को इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए

मूत्र में खून का आना- पथरी रोग का अन्य लक्षण मूत्र में खून का आना भी होता है। अत: किसी भी व्यक्ति को इस स्थिति में कोई भी कदम बिना आयुर्वेद राजवैद्य जी और डॉक्टर की सलाह से नहीं उठाना चाहिए क्योंकि ऐसा करना उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

गुर्दे की पथरी होने के कारण क्या-क्या हैं? (Causes of Kidney Stone )

पथरी रोग कई कारणों से हो सकती है, जिसके बारे में हर व्यक्ति को पता होना चाहिए। यह समस्या मुख्य रूप से 5 कारणों से हो सकती हैं, जो इस प्रकार हैं-

अधिक मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश युक्त डाइट करना- यदि कोई व्यक्ति अधिक मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश वाला भोजन करता है, तो उसे गुर्दे की पथरी हो सकती है। इसी कारण व्यक्ति को ऐसा भोजन करना चाहिए जिसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश इत्यादि हो।

थायराइड का होना- यदि किसी व्यक्ति को थायराइड है, तो उसे किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है। अत: थायराइड से पीड़ित व्यक्ति को इस बात की जांच करनी चाहिए ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि उसे पथरी की समस्या है या नहीं।

वजन का अधिक होना- गुर्दे की पथरी उन लोगों भी हो सकती है, जिनका वजन अधिक होता है। इसी कारण व्यक्ति को अपने वजन को नियंत्रण में रखना चाहिए।

बाइपास सर्जरी का कराना- किडनी स्टोन की समस्या उस व्यक्ति को भी हो सकती है, जिसने हाल ही में बाइपास सर्जरी कराई है। ऐसा मुख्य रूप से इस सर्जरी के दुष्प्रभाव के कारण होता है।

डिहाइड्रेशन का होना- ऐसा माना जाता है कि शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी का होना काफी जरूरी होता है क्योंकि इससे आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं। अत: जो व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीता है, तो उसे पथरी रोग होने की संभावना अधिक रहती है।

गुर्दे की पथरी का इलाज कैसे करें? (Treatments Of Kidney Stone )

गुर्दे की पथरी का इलाज कई सारे तरीकों से किया जा सकता है, जिनमें से प्रमुख तरीका आयुर्वेद ओषधि का फार्मूला हैं।

हमारे आयुर्वेद फार्मूले देशी दवाई के साथ में भरपूर पानी पीना और उसके साथ में बार-बार पेशाब जाने से किडनी स्टोन स्वयं निकल जाती हैं।


गुर्दे की पथरी के जोखिम क्या हो सकते हैं? (Risks of Kidney Stone )

यदि पथरी रोग का इलाज सही समय पर न किया जाए, तो यह घातक रूप ले सकती है और इसके कई सारे जोखिम हो सकते हैं, जिनमें से प्रमुख 5 इस प्रकार हैं-

मूत्रवाहिनी (ureters) का ब्लॉक होना- यदि गुर्दे की पथरी का इलाज समय रहते न किया जाए तो स्थिति बद-से-बदतर हो सकती है। इसके परिणामस्वरूर मूत्रवाहिनी ब्लॉक हो सकती है, जिसकी वजह से किसी भी व्यक्ति के लिए मूत्र करना कष्टदायक हो सकता है।

संक्रमण की संभावना का बढ़ना- मूत्रवाहिनी के ब्लॉक के अलावा कई बार गुप्त अंगों में संक्रमण होने की संभावना बढ़ सकती है।

गुर्दे में खिंचाव का होना- पथरी रोग के लाइलाज रहने पर किडनी की स्थिति खराब हो सकती है और उसमें खिंचाव हो सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति के गुर्दे में दर्द होता है।

किडनी का खराब होना- यदि किसी व्यक्ति की किडनी स्टोन काफी समय तक लाइलाज रहती है, तो कुछ समय के बाद उसकी किडनी खराब भी हो सकती है। हालांकि, इस स्थिति में उसे किडनी उपचार के अन्य तरीकों जैसे किडनी डायलेसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।

मूत्रवाहिनी में चोट का लगना- किडनी स्टोन का सही समय पर उपचार न होने की स्थिति में इसका बुरा असर मूत्रवाहिनी पर पड़ सकता है। कई बार मूत्रवाहिनी में चोट भी लग सकती है।

ऐसा माना जाता है कि यदि किसी बीमारी का इलाज समय रहते न किया जाए तो वह कुछ समय के बाद गंभीर रूप ले सकती है।
यह बात गुर्दे की पथरी पर भी लागू होती है, क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को मूत्रवाहिका (uterus) का ब्लॉक होना, कमज़ोरी महसूस होना, शरीर के अन्य अंगों में संक्रमण का होना, किडनी का खराब होना इत्यादि जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।

FORMULA NO.7

RANDORI BURL RAS

Randori Burl Ras
Scalp produces a different type of protein which interacts he hair in hair policies. This protein is responsible for the tight attachment of hair to the scalp. But the application of different soaps, shampoos, oils destroy that protein and weakens the attachment of hair, resulting in the falling of hair, dandruff, continued headache, double-headed hair, early maturation of hair, ultimately resulting In baldness. Application of Randori Buts Ras regenerates that protein which makes strong attachment of hair with scalp and hair becomes long, black and thick.

THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

 गंजापन के लिए , प्रोटीन की कमी के कारण झड़ते हैं बाल, स्किन भी होती है खराब

पोषक तत्व की ही तरह शरीर को प्रोटीन की भी जरूरत एक निश्चित मात्रा में होती है। अगर शरीर में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन न हो तो मसल्स और हड्डियों के अलावा स्किन और बाल से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं
हर पोषक तत्व की ही तरह शरीर को प्रोटीन की भी जरूरत एक निश्चित मात्रा में होती है। इसकी अधिकता और कमी दोनों ही सेहत पर बुरा असर डालती है। अगर शरीर में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन न हो तो मसल्स और हड्डियों के अलावा स्किन और बाल से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं…

बालों का कमजोर होना

बालों का कमजोर होना, टूटना या झड़ना भी प्रोटीन की कमी को दर्शाता है। बालों के बनने में चूंकि प्रोटीन का योगदान होता है, ऐसे में बाल इसकी कमी से तकलीफ में आ सकते हैं।

नाखून का टूटना
इसी तरह नाखूनों की कमजोरी भी प्रोटीन की कमी का संकेत हो सकती है। इसके कारण हाथ-पैरों के नाखूनों पर उभार उठना, सफेद लकीरें बनना और नाखूनों का टूटना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इन गलत आदतों से बालों को होता है नुकसान

स्किन का खराब होना
मुरझाई हुई स्किन या स्किन पर पड़े रैशेज भी प्रोटीन की कमी से पनपते हैं। साथ ही कमजोरी, नींद में असंतुलन, घावों को ठीक होने में देर लगना, बार-बार भूख लगना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, चिड़चिड़ापन और ऊर्जा में कमी, सिरदर्द और चक्कर आना आदि तकलीफें भी प्रोटीन की कमी से हो सकती हैं।

वजन में तेजी से कमी होना
वजन का तेजी से कम होना भी प्रोटीन की कमी का संकेत हो सकता है। दरअसल शरीर को जब प्रोटीन नहीं मिलता तो वह मसल्स को तोड़कर प्रोटीन लेने की कोशिश शुरू कर देता है। ऐसे में मसल्स खोने लगती हैं। इससे वजन में गंभीर कमी हो सकती है।

कारण एवं उपचार

बालरोगंतक केश्वदिनी रसायन रस , रन्धोडी बूटी रस , स्कैल्प एक अलग प्रकार के प्रोटीन का उत्पादन करता है जो बालों की नीतियों में बालों को इंटरैक्ट करता है। यह प्रोटीन खोपड़ी के लिए बालों के तंग लगाव के लिए जिम्मेदार है। लेकिन अलग-अलग साबुन, शैंपू, तेल के आवेदन उस प्रोटीन को नष्ट कर देते हैं और बालों के लगाव को कमजोर कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बालों का गिरना, रूसी, लगातार सिरदर्द, दोमुंहे बाल, बालों का जल्दी परिपक्व होना, अंततः परिणामस्वरूप गंजापन हो जाता है।आयुर्वेद प्रमुख ओषधियों का फार्मूला उपचार, बालरोगंतक केश्वदिनी रसायन रस , रन्धोडी बूटी रस , का अनुप्रयोग उस प्रोटीन को पुन: बनाता है जो खोपड़ी के साथ बालों का मजबूत लगाव बनाता है और बाल लंबे, काले और घने हो जाते हैं।

चिकित्सा योग्यता संवैधानिक है।

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोगों को हमेशा के लिए जड़ से नष्ट करके शरीर को शुध्द और शरीर को सोने जैसा बना देगा ।

FORMULA NO.8

IMMUNITY AND WEAKNESS GENERAL TONIC

Immunity and Weakness General Tonic
This general tonic is very useful in following disorders such as any type of body weakness, indigestion, Hepatitic disorder, Loss of appetite,Hypoproteinemia, Bodyache, Vertigo, reduced retaining power, Eye-sight weakness, application of spectacles, mental and cardiac weakness, Tumour, Decalcification of bones, noctumal discharge overnight fall due to distorted heat or mental weakness.
This general tonic is used to remove all above disorders and tones up our body and semen composition. It improves the sexual power of male markedly and the body becomes fresh like Rose Flower. This tonic may be used by healthy individual and prevents the occurrence of Diabetes Mellitus and blood pressure etc. This general tonic may be used by both male and female, Boy Girls, Shemale.
THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

 रोग प्रतिरोधक शक्ति औंर कमजोरी जनरल टोनिक फार्मूला

30 वर्षीय गृहिणी शारदा यूं तो पूरी तरह स्वस्थ्य हैं, लेकिन उन्हें अक्सर थकान महसूस होती है। 65 वर्षीय रणजीत रिटायरमेंट की लाइफ जी रहे हैं, बहुत ज्यादा शारीरिक श्रम नहीं करते, लेकिन अक्सर थकान की शिकायत रहती है। इस तरह की थकान किसी को भी हो सकती है। शारीरिक और मानसिक थकान अलग-अलग है। कई बार ये दोनों स्थितियां एक साथ हो सकती हैं। लंबे समय तक शारीरिक थकान रहे, तो वह मानसिक थकान का कारण बन सकती है। इसे नजरअंदाज करना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। थकान का सबसे बड़ा कारण होता है नींद पूरी नहीं होना। आयुर्वेदिक के अनुसार, 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को कम से कम 7-8 घंटे नींद लेना चाहिए

थकान के कारण
मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या: तनाव, दुख, शराब या नशीली दवाओं का सेवन, चिंता, बोरियत और तलाक के कारण ऐसा हो सकता है। कई लोग नींद नहीं आने की बीमारी के कारण मानसिक रोगी हो जाते हैं।
दिल और फेफड़ों की स्थिति: निमोनिया, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), वाल्वुलर हार्ट डिजीज, कोरोनरी हार्ट डिजीज, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, एसिड रिफ्लक्स और इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज जैसे हार्ट, फेफड़े और पाचन संबंधी बीमारियों के कारण भी थकान महसूस होती है।
नींद की कमी: देर रात तक काम करना, शिफ्ट में काम करना, जेट लैग, स्लीप एपनिया, नार्कोलेप्सी और रिफ्लक्स एसोफैगिटिस के कारण नींद नहीं आती है और थकान महसूस हो सकती है।
पुराना दर्द: पुराने दर्द वाले रोगी रात में अक्सर जागते हैं। वे आमतौर पर थके हुए लगते हैं। दर्द और नींद की कमी के डबल अटैक के कारण थकान बनी रहती है। कुछ बीमारियों का मुख्य लक्षण दर्द होता है, जैसे फाइब्रोमायल्जिया और इसका संबंध स्लीप एपनिया से होता है। इससे थकान के लक्षण और भी बिगड़ जाते हैं। 
अधिक वजन या कम वजन होना: अधिक वजन के कारण विभिन्न कारणों से थकान का खतरा बढ़ जाता है। इनमें शामिल है – शरीर के अधिक वजन को यहां से वहां ले जाने में जोड़ों और मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता है। वहीं कम वजन वाले व्यक्ति भी अपनी स्थिति के कारण आसानी से थक सकते हैं। भोजन संबंधी विकार, कैंसर, पुरानी बीमारी, और ओवरएक्टिव थायराइड के कारण अत्यधिक थकान हो सकती है।

थकान के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
मांसपेशियों में दर्द
उदासीनता और मोटिवेशन की कमी
दिन में उनींदापन
नए काम पर ध्यान केंद्रित करने या सीखने में कठिनाई
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं जैसे सूजन, पेट में दर्द, कब्ज और दस्त
सिरदर्द
चिड़चिड़ापन 
याददाश्त स्मरण शक्ति कमजोर पड़ जाना
आखों की रोशनी किसी कारणवश कम हो जाना जिससे नम्बरी चश्मा लगना
हड्डियां कमजोर पड़ जाना
मर्दाना ताकत रुकावट कम
प्रतिक्रिया समय धीमा यानी सामान्य काम करने की धीमी गति 
आंखों सबंधी समस्याएं जैसे धुंधलापन

इन उत्तराखण्ड की औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोग को हमेशा के लिए नष्ट करके शरीर को स्वस्थ बनाए रखेगा

जनरल टोनिक को स्त्री- पुरुष दोनों सेवन कर सकते है

FORMULA NO.9

FOR LEUCODERMA & PSORIASIS AND ALL TYPE SKIN DISEASES

For Leucoderma and All Type Skin Diseases
Leucoderma occurs due to nursing disorders of the skin. The weakness of digestive power of skin causes improper digestion of skin meal that forms in digestive Kapha which forms white patches.
Symptoms like small, large reddish, blackish patches appear. Skin diseases like Fungal infection, Ringworm infection, Scabies, eczema, boils etc. If not treated, these diseases convert into serious skin diseases. The medicinal contents of this formula remove these diseases from roots. 

THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATION ARE CONFIDENTIAL.

 सोरायसिस (  Psoriasis  ) , सफेद दाग , फुलबहरी  (   LEUCODERMA   ) त्वचा रोग

अपनी गर्दन पर कुछ  बदलाव नजर आया एक छोटा सा दाग जिसका रंग उसकी त्वचा के रंग से थोड़ा हल्का नजर आता था। शुरू-शुरू में तो उसने इस दाग की परवाह नहीं की लेकिन धीरे-धीरे उसका दाग फैलने लगा तो उसके घरवाले इस बात से घबरा गए कि कहीं यह दाग कुष्ट रोग की निशानी तो नहीं। तब उन्होंने चिकित्सक से संपर्क किया और उन्हें पता चला कि यह ल्यूकोडरमा नामक चर्मरोग के लक्षण हैं।

 उसके परिवारवालों जैसे कई लोग हैं जो अक्सर सोरायसिस ,सफेद दाग को कुष्ट रोग समझने की गलती कर बैठते हैं जबकि सोरायसिस, सफेद दाग एक चर्म रोग हो सकता है जिसके बारे में जानकारी जरूरी है। अगर आप भी सफेद दाग या पैच से संबंधित किसी समस्या से परेशान हैं या इस बारे में कोई जानकारी चाहते हैं तो हम आपको चर्म रोग व सफेद दाग और सोरायसिस विशेषज्ञ आयुर्वेदिक राजवैद्य जी  से बातचीत के आधार इस बारे में जानकारी दे ।

 कोढ़ नहीं है सफेद दाग

 त्वचा पर सोरायसिस, सफेद दाग की समस्या है तो इसे कोढ़ (लैप्रोसी) समझने की भूल न करें। हालांकि कोढ़ की शुरुआत में भी त्वचा पर सफेद दाग होते हैं लेकिन वे छूने से संक्रमित नहीं होते हैं। वो सफेद दाग एक प्रकार का चर्म रोग है।

 क्यों होता है  सोरायसिस (  Psoriasis  )  सफेद  दाग

 त्वचा पर सफेद दाग या सफेद चकतों के पीछे तीन कारण हो सकते हैं- पोषक तत्वों की कमी, फंगल संक्रमण या फिर ल्यूकोडरमा (विटिलिगो) नामक चर्म रोग। आमतौर पर इनमें से ही किसी एक समस्या की वजह से त्वचा सफेद दाग या पैच हो जाते हैं जिनकी अगर सही समय पर जाँच हो, तो 100 प्रतिशत इलाज संभव है।

 पोषक तत्वों की कमी

 कई बार शरीर में जरूरी मात्रा में विटामिन्स व मिनिरल्स की कमी से भी त्वचा रोग सफेद दाग की समस्या हो जाती है। संतुलित डाइट न लेने की वजह से शरीर की त्वचा के रंग से थोड़े हल्के रंग के दाग हो सकते हैं। ये दाग पूरी तरह सफेद नहीं दिखते। इसके उपचार के दौरान चिकित्सा के साथ-साथ हेल्दी डाइट पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।

फंगल संक्रमण से सोरायसिस, सफेद दाग

 कई बार किसी फंगल संक्रमण के परिणामस्वरूप भी त्वचा पर सफेद दाग, और सोरायसिस की समस्या होती है। ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श बहुत जरूरी होता है जिसके बाद यह समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाती है। अक्सर इसके अलाज में दो से तीन महीने तक का समय लग जाता है।   

विटिलिगो यानी सफेद दाग एक त्वचा का रोग है, इसमें इंसान के शरीर के विभिन्न स्थानों पर सफेद दाग/धब्बे दिखाई देते हैं।

 विटिलिगो यानी सफेद दाग एक त्वचा का रोग और सोरायसिस है, इसमें इंसान के शरीर के विभिन्न स्थानों पर सफेद दाग/धब्बे दिखाई देते हैं। इसमें त्वचा के प्राकृतिक रंग के स्थान पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे दिखाई देते हैं। प्रारम्भ में रोगी के शरीर पर जैसे हाथ, पांव, कोहनी, गर्दन, कमर, चेहरे, होंठ और जननांगों आदि पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे निकलते है। ये आपस में मिलकर बड़ा धब्बा बना लेते हैं। इस प्रकार शरीर के विभिन्न भागों में सफेद दाग दिखाई देते हैं।

 इस सफेद दाग,सोरायसिस रोग में सफेद दाग चेहरे, होंठ, हाथ, पांव आदि पर दिखाई देने के कारण रोगी कुरूप दिखाई देता है, इस कारण रोगी तनाव, हीन भावना व डिप्रेशन में रहता है।

 कारण क्या हैं?

 त्वचा का प्राकृतिक रंग बनाने वाली कोशिकाएं जिन्हें ‘मेलेनोसाइट्स’ कहते हैं, किसी कारण से नष्ट होने लगती हैं तथा त्वचा का रंग सफेद धब्बों में दिखाई देने लगता है। विटिलिगो एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें शरीर की स्वस्थ कोशिकाएं आपस में नष्ट होनी लगती हैं। विटिलिगो में भी मेलेनोसाइट कोशिकाएं एक-दूसरे को नष्ट करने लगती हैं। इस रोग के कई कारण हो सकते हैं जैसे- आनुवांशिकी, दुर्बल्यता, बच्चों में पेट के कृमि, चिंता, तनाव आदि लेकिन अभी तक शोध में इस रोग के मुख्य कारणों का पता नहीं लगा है।

 विटिलिगो के लक्षण

 रोगी के शरीर पर छोटे-छोटे सफेद दाग/धब्बे दिखाई देते हैं। कुछ रोगियों में थोड़ी खुजली पाई जाती है। धीरे-धीरे ये सफेद दाग आपस में मिलकर बड़ा धब्बा बना लेते हैं। कुछ रोगियों में धब्बों के बढऩे की गति धीमी होती है और कुछ में तेज होती है। इनके अतिरिक्त कोई विशेष लक्षण रोगी में नहीं पाए जाते।

 विटिलिगो का निदान

 इस रोग को आसानी से पहचाना जाता है। अन्य रोगों से अंतर स्पष्ट करने के लिए वुड लैम्प टेस्ट, स्किन टेस्ट और बायोप्सी की जाती है।

सोरायसिस ( Psoriasis ) सफेद दाग के प्रकार

 फोकल विटिलिगो

 इसमें छोटे-छोटे धब्बे शरीर के किसी विशेष भाग में दिखाई देते हैं।

 म्यूकोजल विटिलिगो

 जब सफेद दाग, होंठ, आंखों की पलकों, जननांग, गुदा आदि में होते हैं, अर्थात् जिस स्थान पर चमड़ी व म्यूकस मैम्ब्रेन आपस में मिलता है।

 एक्रोफेसियल विटिलिगो

 इसमें सफेद दाग चेहरे, सिर तथा हाथ पर दिखाई देते हैं।

 यूनिवर्सल विटिलिगो

 शरीर के अधिकतर भागों पर सफेद दाग दिखाई देते हैं। शरीर के बाल भी सफेद हो जाते हैं तथा रोग तेजी से बढ़ता है।

 समाज में फैली भ्रांतियां और निवारण

 

 छूत का रोग नहीं है

 माना जाता है जो सम्पर्क में आने से दूसरे व्यक्ति को भी यह रोग फैलता है लेकिन यह बिल्कुल असत्य है, विटिलिगो छूत का रोग नहीं है। सम्पर्क में आने, छूने, साथ में रहने से यह रोग नहीं फैलता।

 यह रोग आनुवांशिक है

 धारणा यह है कि मां-बाप को यदि यह रोग हो तो बच्चों में भी हो जाता है। कुछ अपवादों को छोडक़र यह आवश्यक नहीं है कि माता-पिता को हो तो बच्चों में भी होता ही हो। केवल 10 प्रतिशत लोगों में ऐसा पाया जा सकता है।

 यह एक सफेद कुष्ठ रोग है

 यह धारणा भी बिल्कुल मिथ्या है। यह कुष्ठ रोग नहीं है। आम लोगों को सफेद दाग से ग्रसित रोगी से घृणा करने की अपेक्षा उन्हें मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाना चाहिए और समाज को अपनाना चाहिए।

 इस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में निदान करवाकर उचित चिकित्सा लेनी चाहिए। यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि यदि रोग शरीर के अधिकांश भाग में फैल जाता है तथा बाल और रोम भी सफेद हो जाते है तब इस रोग को असाध्य माना जाता है। इस अवस्था में रोगी को किसी भी चिकित्सा पद्धति से निरोग नहीं किया जा सकता। ऐसी अवस्था में इस रोग को पूरी तरह से निरोग करने वाले भ्रामक विज्ञापनों से बचना चाहिए और इनकी ठगी में नहीं आएं। अपना पैसा और समय बर्बाद होने से बचाएं।

 इस सोरायसिस , सफेद दाग रोग का इलाज आयुर्वेदिक चिकित्सा

  कुष्ठ रोग की अवस्था में बहुत ही कारगर है।

 विटिलिगो रोग से बचाव

 संतुलित भोजन, व्यायाम , योग और तनाव से दूरी।

 अपनी जीवनशैली को आरामतलब नहीं बनाकर काम में व्यस्त रहना चाहिए। खाने-पीने में अधिक चटपटा, खटाई कम लें। बच्चों के चेहरे पर हल्के भूरे दाग उदरकृमि के कारण हो जाते हैं। अत: दुर्बलता एवं कृमि की चिकित्सा लेनी चाहिये।

 चोट लगने, जलने अथवा शरीर पर हल्के भूरे रंग के धब्बे होने पर शीघ्र निदान कराकर उपयुक्त चिकित्सा लेनी चाहिए। कुछ अन्य रोगों में भी हल्के सफेद दाग पाए जाते हैं। जैसे-दुर्बलता, पिटिराईसिस, कुष्ठ रोग आदि रोग , इनकी चिकित्सा करानी चाहिए।

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोगों को हमेशा के लिए जड़ से नष्ट करके शरीर को शुध्द और शरीर को सोने जैसा बना देगा ।

FORMULA NO.10

FOR HAVING ISSUES

For Having Issues
Healthy male and healthy female are able to bear a normal healthy baby. A baby develops from mobile, active and normal sperm. Due to some reasons, abnormal sperms are generated, sperm count reduces, watery seminal discharge occurs. Cellular pinion decreased, non-mobile, non-active sperm, unable to bear a baby. The medicinal contents of this formula are very useful which activates the testicles and increases production of semen, improves its density, mobility, and activity. Male is able to bear a baby even after 20 years of marriage. Female must be healthy for bearing a baby. Some reasons which obstruct pregnancy are:- Endometriosis, Cervicitis, Retrogradeuterus, Menstruation problems, more acidic nature of the uterus, and many other causes. The medicinal contents of this the formula is very useful for removing menstruation disorder and other problems of the uterus, and to generate fresh blood making the female to bear normal babies.

संतानहीनता का आयुर्वेद फार्मूला संतान प्राप्ति के लिए

संतानहीनता  अर्थात् जब आप बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हों। अधिकांश पुरुष और महिलाएं यह मानते हैं कि वे बच्चे को जन्म दे सकेंगे । लेकिन सच्चाई यह है कि हर दस में से एक दंपति को गर्भधारण में कठिनाई होती है । कुछ महिलाएं तथा पुरुष बच्चा नहीं चाहते हैं । लेकिंन जो दंपति बच्चे की आशा करते हैं, उनके लिए संतानहीनता दुख, दर्द , क्रोध तथा निराशा बन जाती है ।

प्राय: ही संतानहीनता का दोष महिला के सिर पर थोंप दिया जाता है परंतु लगभग आधे मामलों में इसके लिए पुरुष जिम्मेवार होता है । कभी-कभी पुरुष इस बात पर विश्वास नहीं करता है कि यह समस्या उसेक कारण हैं, या इसके लिए दोनों जिम्मेवार हैं । वह ग़लतफ़हमी या अज्ञानता के कारण ऐसा सोच सकता है कि क्योंकि वह मैथुन क्रिया करने में सक्षम हैं, इसलिए संतानहीनता के लिए वह जिम्मेवार नहीं हो सकता । इस कारण वह अपनी जांच करने से मना कर सकता है तथा उसे इस बात पर क्रोध भी आ सकता है । अधिकतर यह इसलिए होता है, क्योंकि समाज में संतानहीनता को शर्म की निगाह से देखा जाता है और पुरुष के लिए बच्चे पैदा करना मर्दानगी की निशानी समझी जाती है ।

संतानहीनता के लिए आयुर्वेदिक ओषधियों का फार्मूला उपचार संभव हैं। इस अध्याय से आपको संतानहीनता के बारे में ठीक से जानने और उसके उपचार के बारे में पता चलेगा ।

पुरुषों में बच्चा पैदा करने में अक्षमता के कारण

वह बिल्कुल ही, या पर्याप्त मात्रा में शुक्राणु बनाने में असमर्थ हैं , या उसके सुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी हो । हो सकता है कि उसके शुक्राणु गतिशील न हों और वे, गर्भाशय में से तैर कर, अंडे तक पहुंचने में असमर्थ हों ।

किशोरावस्था में, या उसके पश्चात उसे कनफेड(मम्प्स) की बीमारी हुई हो जिसके कारण उसके अंडकोष (टेस्टिकलस) क्षतिग्रस्त हो गये हों । जब ऐसा हो, तो पुरुष यौन क्रिया में वीर्यपात तो कर पाता है, परंतु ऐसे वीर्य में शुक्राणु मौजूद नहीं होते हैं ।

उसके सुक्राणु लिंग से निकलते न हों, क्योंकि उसकी विर्यवाहक नली, वर्तमान या पूर्व में किसी यौन संचारित रोग के कारण बंद हो गयी हो।

उसे शुक्र कोष में खून की शिराओं में सूजन हो (वेरिकोसील) ।

उसे यौन क्रिया में कोई कठिनाई हो सकती है, क्योंकि :

उसका लिंग उत्तेजित हो कर ठीक से कड़ा नहीं होता है ।

संभोग के दौरान लिंग कड़ा नहीं रहता है ।

वह यौन क्रिया के दौरान योनि के अंदर गहराई तक जाने से पहले ही स्खलित हो जाता है ।

मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तपेदिक तथा मलेरिया जैसे बीमारियां पुरुष की संतान पैदा करने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है ।

महिलाओं के लिए संतानहीनता

महिलाओं में संतानहीनता के मुख्य कारण हैं :उसकी फैलोपियन नलिकाओं, या गर्भाशय में संक्रमण है या वे बंद हैं । नलिकाएं बंद होने से अंडा नलिकाओं में सक्रिय नहीं हो पाता है, या शुक्राणु अंडे तक नहीं पहुंच पाते हैं । गर्भाशय में संक्रमण होने, या वहां जख्मनिशान होने के कारण निषेचित अंडा गर्भाशय की अंदरूनी भित्ति से चिपक नहीं पाता है । कभी-कभी महिला को योनि से अत्यधिक स्त्राव या दर्द होता है, जो गर्भाशय तथा योनि में संक्रमण के सूचक हैं । परिणामस्वरूप, गर्भाशय की आतंरिक भित्ति पर जख्म के निशान पड़ जाते हैं, जिनके बारे में महिला को पता भी नहीं चल पाता है । वर्षों पश्चात उसे पता चलता है कि उसमें संतान पैदा करने की क्षमता नहीं है ।
जख्मों के पश्चात निशान (स्कारिंग) निम्न कारणों से हो सकते हैं :

किसी यौन रोग से संक्रमण के कारण, जिसका उपचार न हुआ हो । यह संक्रमण बढ़ते, बढ़ते गर्भाशय तथा फैलोपियन नलिकाओं तक पहुंच जाता है (“पेल्विक एन्फ्लामेंट्री डिजीज, या पी.आई.डी.”) ।

प्रसव या गर्भपात के दौरान हुई समस्याएं जिनके कारण गर्भाशय में संक्रमण या क्षति ।

योनि, गर्भाशय, नलिकाओं, या अंडाशयों की शल्यक्रिया में हुई समस्याओं के कारण ।

तपेदिक के कारण भी नलिकाओं तथा गर्भाशय की आतंरिक झिल्ली में स्कारिंग हो सकती है ।

वह अंडा उत्पन्न करने में असमर्थ है ( ओवुलेशन का न होना) । ऐसा शरीर द्वारा सही समय पर आवशयक हार्मोन न बनाने के कारण हो सकता है । अगर उसकी माहावारी का चक्र 21 दिनों या, 35 दिन से अधिक का है, तो उसे ओवुलेशन में कठिनाई हो सकती है ।

कभी कभी तेजी से वजन कम करने या शरीर का वजन बहुत अधिक होने या हार्मोन युक्त दवाइयों के सेवन से भी ओवूलेशन में कठिनाई हो सकती है ।

उसके गर्भाशय में “फाइब्रोइडस” ( एक प्रकार की गांठे) हैं । इस कारण गर्भधारण, या गर्भ को पुरे काल तक वहन करने में कठिनाई हो सकती हैं ।

मधुमेह और तपेदिक जैसी बीमारियाँ भी महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है ।

कार्य स्थल तथा घर में खतरे जिनसे प्रजनन क्षमता हो हानि हो सकती है। ये खतरे प्रजनन क्षमता को, सुक्रणुओं तथा अंडे के निर्माण से ले कर एक स्वस्थ शिशु के जन्म तक, अनके प्रकार से नुकसान पहुंचा सकते हैं :

गर्भ की हानि (गर्भपात)

अनेक दंपतियों के लिए गर्भधारण करना नहीं, बल्कि गर्भ को बनाए रखना एक समस्या होती है । एक दो गर्भों का नुकसान होना एक आम बात है । यह कमजोर गर्भों को समाप्त करने का शरीर का एक तरीका है । गर्भपात अदृश्य तनाव, या चोट के कारण भी हो सकता है ।
लेकिन अगर आपको 3 या अधिक बार गर्भपात हो चुका है, तो कोई समस्या भी हो सकती है जैसे :

अंडे, या शुक्राणु में खराबी

गर्भाशय के आकार में समस्या

गर्भाशय में फाइब्रोइड

शरीर में हार्मोन का असंतुलन

गर्भाशय, या योनि में संक्रमण

मलेरिया, शरीर में योनि में संक्रमण, या अन्य रोग

गुणसूत्रों (क्रोमोसोम्स) का विकार

गर्भपात के जोखिम के सूचक हैं :

योनि से, गर्भावस्था में, भूरे, लाल, गुलाबी रंग का रक्त जाना ।

पेट में दर्द, या मरोड़, चाहे वह कितना भी कम क्यों न हो ।

संतान के बिना जीवन

संतान न होने से कोई भी महिला या पुरुष दुखी, चिंतित, एकाकी, कुंठित या क्रोधित रह सकते हैं ।

जब आप ऐसा महसूस करें, तो सोचिए कि आप अकेली नहीं हैं । अनके क्षेत्रों में एक नी:संतान महिला को तंग, पीटा तथा बेइज्जत किया जाता है, या उसे छोड़ दिया जाता है और पुरुष दूसरी शादी कर लेता है ।

भारत में नी:संतान महिला को “बांझ” या “बंझनी” या “सुखी कोख” कहा जाता है। उसको उपचार के लिए अनेक रिवाजों तथा रीतियों का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है ।
महिला को तंग, पीटा तथा बेइज्जत एसे न करें और उसे छोड़े भी नहीं
लेकिन यह आवशयक हैं कि ऐसी स्थिति में दोनों जीवन साथी एक दुसरे का साथ दें । ऐसे लोगों से बात करें, जो आपके हितैषी हैं । और आयुर्वेदिक प्रमुख ओषधियों का फार्मूला उपचार से अवश्य संतान प्राप्त होगी

आवश्य

स्वस्थ पुरुष और स्वस्थ महिला एक सामान्य स्वस्थ बच्चे को सहन करने में सक्षम हैं। एक बच्चा मोबाइल, सक्रिय और सामान्य शुक्राणु से विकसित होता है। कुछ कारणों के कारण, असामान्य शुक्राणु उत्पन्न होते हैं, शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है, पानी में वीर्य स्राव होता है। सेलुलर पिनियन में कमी, गैर-मोबाइल, गैर-सक्रिय शुक्राणु, एक बच्चे को सहन करने में असमर्थ। इस सूत्र की औषधीय सामग्री बहुत उपयोगी है जो अंडकोष को सक्रिय करती है और वीर्य का उत्पादन बढ़ाती है, इसकी घनत्व, गतिशीलता और गतिविधि में सुधार करती है। शादी के 40 साल बाद भी पुरुष बच्चा पैदा करने में सक्षम होता है। बच्चे को पालने के लिए महिला का स्वस्थ होना जरूरी है। कुछ कारण जो गर्भावस्था में बाधा डालते हैं, वे हैं: – एंडोमेट्रियोसिस, सरवाइकलाइटिस, रेट्रोग्रेडेरस, मासिक धर्म की समस्याएं, गर्भाशय की अधिक अम्लीय प्रकृति, और कई अन्य कारण। इस सूत्र की औषधीय सामग्री मासिक धर्म विकार और गर्भाशय की अन्य समस्याओं को दूर करने और सामान्य बच्चों को सहन करने के लिए मादा बनाने के लिए ताजा रक्त उत्पन्न करने के लिए बहुत उपयोगी है।

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखी खराबियों को दूर करके महावारी को सही करके संतान प्राप्ति की ताकत देगा तथा नया खून पैदा करके शरीर को निरोग बना और नवे महीने में संतान पैदा होगी ।

FORMULA NO.11

FOR AYURVEDIC SPECIAL BADSHAHI TILA

For  Ayurvedic Special Badshahi Tila
For Himalaya Ayurvedic Special Badshahi Tila If, Masturbation, Sodomy, intercourse with prostitutes are performed in the adolescent stage, those develop distorted heat. That destined heat invades the urethra and veins of the penis which causes weakness of blood vessels of the penis. Following symptoms may be developed, such as the improper erection of the penis, Penis becomes short, thin, contracted and may be diverted to Right or Left.
The flakiness of the penis, recurrent. discharge, no erection for proper intercourse. But, if special Badhshahi Tila medicine is applied then it removes the above written all problems and tones up the penis and improves its length & diameter and also improves its blood circulation.
The WOMEN who give breastfeed, their breasts become flabby, develop fat & there is a loss of shape of breasts. Application of Badshahi Tila causes improvement of blood circulation of breasts, shape up these & tightness occurs. It may be applied over the vagina and that causes tightness of vagina.

(1) Namardhi Tila Tel (2) Special Ling Vardhak Tila Tel (3) Badshahi Tila Tel

BADEHAHI TILA TREATMENT FOR 45 TO 60DAYS
DIRECTION:- mix additional medicine according to need & gently massage this oil before going to sleep.

For Ayurvedic Special Oil

लिंग को बड़ा करने के लिए लिंग की आयल से मालिश करना सबसे सुरक्षित,और आसान तरीका होता है। लिंग हृदय की तरह ही रक्त का एक गुच्छा होता है जिसमें जितना रक्त समा सके वह उतना ही बड़ा हो जाता है।

तेल से लिंग की मालिश करने से इसमें रक्त संचार बढ़ता है और वह अधिक लंबा मोटा और बड़ा हो जाता है। साथ ही, नियमित लिंग की मालिश करने से, इसकी रक्त को अधिक समय तक अंदर रोके रखने की क्षमता बढ़ती है, जिससे सेक्स के दौरान आपका वीर्य जल्दी नहीं गिरता और लंबे समय तक सेक्स करने में मदद मिलती है।

लिंग में
रक्त वाहिनियों कमजोर, छोटापन, दुबलापन, पतलापन, टेडापन, लकवापन,
इन्द्री बराबर सही ढग से उत्तेजित नहीं होना

उपचार
इस तेल मालिश से
यहाँ पर लिंग को बड़ा करने में मदद करने वाले सबसे फायदेमंद नामर्दी तिला तेल , सपेशल लिंग वर्धक तिला तेल , बादशाह तिला तेल के नाम दिए जा रहे हैं। इनसे नियमित मालिश करके आप अपने लिंग को मजबूत, कठोर, बड़ा और स्वस्थ करके लिंग में पूरा जोश व ताकतपैदा करके लम्बाई बढा कर, लिंग में रक्त संचार पूरा करके बुढापे तक जोश कायम रखेगा

विधि

रोग अनुसार

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोगों को हमेशा के लिए जड़ से नष्ट करके शरीर को शुध्द और शरीर को सोने जैसा बना देगा ।

चिकित्सा योग्यता संवैधानिक है।

FORMULA NO.12

FOR HYSTERIA AND EPILEPSY ETC.

For Hysteria and Epilepsy etc.
Hysteria usually occurs in those females who are not satisfied with sexual intercourse. There are also other causes of hysteria like Tension, Depression, Fear, Anger, Family and Psychiatric problems etc. Hysteria is mainly related to the brain. Hysteria reduces and diminishes the power of sight, hearing, talking, numbness in brain, tumor, Restlessness, Shon-temperament, fits, body spasm, pale face, Anaemia, Indigestion. Male, Female and children may be affected by this disorder. The medicinal contents of this formula are very useful in the above disorders. This is a brain tonic and generates fresh blood.

THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

 मिर्गी और हिस्टीरिया अर्थात कनवर्जन के लक्षण एक जैसे होते हैं, लेकिन दोनों बीमारियां एक-दूसरे से एकदम अलग हैं। कई बार आप समझ नहीं पाते कि रोगी मिर्गी से पीड़ित है या हिस्टीरिया से। हिस्टीरिया को मिर्गी का दौरा समझकर कई बार आप उसकी अनदेखी करते हैं। यह लापरवाही आगे चलकर मुश्किल का सबब बन सकती है, क्योंकि हिस्टीरिया का दौरा लगातार पड़ने से मरीज की बीमारी बढ़ती जाती है और वह मानसिक रोगी बन जाता है।

हिस्टीरिया के लक्षण
1 जब रोगी अचानक हंसने या रोने लगे तो समझ जाएं कि उसे हिस्टीरिया का दौरा पड़ा है।
2 रोगी के शरीर में अचानक गुदगुदी होने लगती है।
3 ऐसा मरीज रोशनी से चिढ़ता है।
4 हिस्टीरिया के मरीज ज्यादा तेज आवाज बर्दाश्त नहीं कर पाते।
5 ऐसे रोगी को सिर, छाती, पेट, रीढ़ तथा कंधे की मांसपेशियों में तेज दर्द होता है।
6 दौरे आने पर रोगी चीखता-चिल्लाता है और उसको लगातार हिचकियां आने लगती हैं।
7 अगर रोगी के हाथ-पैर में अचानक ऐंठन होने लगे तो समझ जाएं कि उसे हिस्टीरिया का दौरा पड़ा है।
8 ज्यादातर ्त्रिरयों को जब हिस्टीरिया का दौरा पड़ता है तो उन्हें बेहोशी आ जाती है। उनके ऊपर के दांत नीचे के दांत पर चढ़ जाते हैं।

क्या है कारण
हिस्टीिरया का दौरा पड़ने का मुख्य कारण सेक्स का दमन करना है। जब आप अपनी सेक्स की फीलिंग को जाहिर नहीं कर पाते और स्थितियां सामान्य न होने की वजह से आप अपनी उस फीलिंग को दबा देते हैं तो वह हिस्टीरिया के दौरे की वजह बन जाता है।
गंभीर सदमा लगना भी हिस्टीरिया की बीमारी का एक मुख्य कारण है। पति या संतान की असमय मृत्यु, संतानहीनता की वजह से या फिर बड़े पैमाने पर धन और जन की क्षति होने की वजह से व्यक्ति हिस्टीरिया का शिकार हो सकता है।
हिस्टीरिया का एक मुख्य कारण तनाव भी है। जब आप अकसर छोटी-छोटी बातों की वजह से तनावग्रस्त रहते हैं और अपने मन की बातों को किसी दूसरे से बांटने की बजाय अंदर ही अंदर घुटने लगते हैं तो आगे चलकर यह स्थिति हिस्टीरिया का कारण बन जाती है।


मिर्गी और हिस्टीरिया में अंतर
हालांकि हिस्टीरिया और मिर्गी के लक्षण एक-दूसरे से काफी मिलते-जुलते हैं, लेकिन दोनों एक-दूसरे से अलग हैं। हिस्टीरिया मानसिक बीमारी है, जबकि मिर्गी दिमागी बीमारी है। दोनों के इलाज के तरीके अलग-अलग हैं। इसलिए दोनों को एक समझने की गलती न करें।
उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोगों को हमेशा के लिए जड़ से नष्ट करके शरीर को स्वस्थ बनाए रखेगा और शरीर को सोने जैसा चमक बना देगा ।

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोगों को हमेशा के लिए जड़ से नष्ट करके शरीर को शुध्द और शरीर को सोने जैसा बना देगा । 

 चिकित्सा योग्यता संवैधानिक है।

FORMULA NO.13

FOR FAT LOSS HIMALAYA AYURVEDIC FATTINESS TREATMENT(OBESITY)

For Fat loss Himalaya Ayurvedic Fattiness Treatment(Obesity)
The food which we eat, after digestion, is used in nourishing all components of our body. But weak digestive power is unable to nurse all components of the body, but only one component -fat is much more nursed. That is why fat is increased more and more.
Increased fat during circulation is deposited in various locations of the body. Such as Abdomen, loin region, Neck, Buttocks etc. and the body becomes heavy, bulky. Breathing problems occur during walking. The laziness of body, Tiredness, Knee joint pains, constipation, gas trouble, the heaviness of head, Restlessness, the Distorted shape of the body, all result from excessive fat. Fattiness has a great role in the elevation of the cholesterol value in blood and developed various diseases, like Blood Pressure, Cardiac diseases. Deposited Cholesterol in blood vessels causes narrowing of blood vessels resulting in the hewn attack. The medicinal contents of this formula reduce fatness, reduces the body weight and normalizes the blood cholesterol values and reduce the chance of recurrence of these diseases.

THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

For Fat loss Himalaya Ayurvedic Fattiness Treatment(Obesity)
The food which we eat, after digestion, is used in nourishing all components of our body. But weak digestive power is unable to nurse all components of the body, but only one component -fat is much more nursed. That is why fat is increased more and more.
Increased fat during circulation is deposited in various locations of the body. Such as Abdomen, loin region, Neck, Buttocks etc. and the body becomes heavy, bulky. Breathing problems occur during walking. The laziness of body, Tiredness, Knee joint pains, constipation, gas trouble, the heaviness of head, Restlessness, the Distorted shape of the body, all result from excessive fat. Fattiness has a great role in the elevation of the cholesterol value in blood and developed various diseases, like Blood Pressure, Cardiac diseases. Deposited Cholesterol in blood vessels causes narrowing of blood vessels resulting in the hewn attack. The medicinal contents of this formula reduce fatness, reduces the body weight and normalizes the blood cholesterol values and reduce the chance of recurrence of these diseases.

THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

Ayurvedic Weight Loss & High Cholesterol Formula :

तेजी से वजन कम करेंगे ये आयुर्वेदिक फार्मूला

Highlights

तेजी से वजन घटाने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक फार्मूला.

इन चीजों को डाइट में शामिल कर पेट की चर्बी होगी कम!

जानें क्या हैं वजन घटाने के सबसे अच्छा आयुर्वेदिक फार्मूला.

अगर आप खुद को कई बार शीशे में देखते हैं, शरीर पर खासतौर पर पेट पर जमी वसा ( Belly Fat & High Cholesterol ) को देखकर परेशान होते हैं, तो यकीनन आप कई बार जिम जाने और डाइट (Diet) करने की कसमें खा ही चुके होंगे.. . लेकिन उनका कोई फायदा नहीं हुआ होगा! आप अकेले नहीं हैं, जिसके साथ यह समस्या है. ऐसे बहुत से लोग हैं जो मोटापा कम करने के लिए योगा (Yoga To Reduce Obesity) करते हैं, जिम जाते हैं और वजन कम (Weight Loss) कर भी लेते हैं, लेकिन पेट पर जमी वसा को दूर नहीं कर पाते. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि कैसे आप अपने पेट पर जमी वसा या बैली फैट और cholesterol को कम कर सकते हैं. आयुर्वेद में आपकी इस समस्या का हल है. आयुर्वेद के अनुसार प्रमुख ओषधि का फार्मूला ऐसे हैं जिन्हें अपनी खाना में शामिल कर आप अपने मेटाबॉलिज्म को बेहतर बना सकते हैं और मोटापे के साथ-साथ बैली फैट , कोलोस्ट्रोल को हमेशा के लिए नियमित कर देगा तथा इनसे उत्पन्न हुए अनेक रोगों को नष्ट करके वजन और कोलेस्ट्रोल दुबारा नहीं होने देगा।

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोगों को हमेशा के लिए जड़ से नष्ट करके शरीर को शुध्द और शरीर को सोने जैसा बना देगा

चिकित्सा योग्यता संवैधानिक है।

FORMULA NO.14

FOR GAS TROUBLE AND HYPERACIDITY

For Gas Trouble and Hyperacidity
All types of food, we eat propel stomach by oesophageal peristaltic movement. Due to distorted vats, such food material remains undigested and remain in the stomach for a long time & get decomposed and develop hyperacidity and gas. Symptoms like:- Abdominal distortion, weakness in intestine mobility, intake food remains undigested, Dysentry develops, Hepatitic disorder, oesophageal and Retrosternal burning, Regurgitation, Reflux, Restlessness, Palpitation, Headache, burning sensation of an eye, Abdominal pain, Hyperacidity, Enteritis, Gastric ulcers etc. If  these are not treated, then more serious problems like blood pressure,
Jaundice etc. develop. The medicinal contents of this formula are very useful in all gastric problems and improve the digestion and make the body healthy.
THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

पेट रोग, गैस ट्रबल और अम्लपित्त

पेट में गैस
इसे पेट या आंतों की गैस और पेट फूलना के रूप में भी परिभाषित किया जाता है, यह एक अपशिष्ट गैस होती है जो पाचन के दौरान बनती है। यह गैस आम तौर पर गुदा (anus) से होते हुऐ कई बार गंध और आवाज के साथ बाहर निकलती है।
पेट में अधिक गैस कई बार हवा निगल लेने के कारण होती है। इसके अलावा, बिना पचे ही खाद्य पदार्थों का निकलना, लेक्टोज ना पचा पाना और कुछ खाद्य पदार्थों का कुवअवशोषण (malabsorption) भी इसके मुख्य कारणों में से एक हैं।
ज्यादातर गैस खाद्य पदार्थों में माइक्रोबियल ब्रेकडाउन (microbial breakdown) से होती है, उदारण के लिए हाइड्रोजन (hydrogen), कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसे गैस बनने लगती हैं। गंध अन्य अपशिष्ट गैसों या यौगिकों से निकलती है।
इसके लक्षणों में पेट से गैस निकलना, डकार लेना, पेट फूलना और पेट में दर्द व बेचैनी आदि शामिल हैं।
अधिक गैस निकलना कोई आपात चिकित्सा स्थिति नहीं पैदा करती, हालांकि इसको जल्द से जल्दी आयुर्वेदिक राजवैद्य जी या डॉक्टर से चेक करवा लेना चाहिए क्योंकि पेट की गैस के साथ कुछ अन्य लक्षण भी जुड़ सकते हैं। जिनमें शामिल है,

पेट में गंभीर ऐंठन

दस्त (डायरिया)

कब्ज

मल में खून आना

बुखार (और पढ़ें – बुखार में क्या खाना चाहिए?)

मतली और उल्टी 

दाहिने तरफ पेट में दर्द और फूलना

पेट की गैस का निदान आम तौर पर मरीज की पिछली दवाईयों या खाद्य पदार्थों के सेवन की जानकारी और उसका शारीरिक परिक्षण लेकर किया जाता है। वैसे ज्यादातर मामलों में टेस्ट आदि लेने की जरूरत नहीं पड़ती, मगर जरूरत पड़ने पर आयुर्वेदिक राजवैद्य जी या डॉक्टर द्वारा मरीज की सांसों और अधोवायु (गैस का मलाशय से निकलना) आदि का विश्लेषण किया जा सकता है।


पेट में गैस के लक्षण
Stomach Gas Symptoms

पेट में अत्यधिक गैस होने के लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

गैस निकलने में वृद्धि या बार-बार गैस आना

बदबूदार गैस बनना

बार-बार डकार आना

पेट फूलना (या सूजन) (और पढ़ें – पेट फूलने की समस्या से अगर छुटकारा चाहते हैं तो जरूर करें ये उपाय)

पेट में दर्द और बेचैनी

पेट की अत्यधिक गैस आम तौर पर कोई गंभीर स्थिति पैदा नहीं करती, लेकिन मेडिकल जांच जल्दी होनी चाहिए अगर मरीज में पैट गैस के साथ ये निम्न लक्षण भी दिखने लगें

पेट में गंभीर ऐंठन

डायरिया

कब्ज

मल में खून आना

बुखार

उल्टी और मतली

पेट की दाहिनी तरफ दर्द

पेट में गैस के कारण
Stomach Gas Causes

पेट में गैस क्यों बनती है​?
ज्यादा खाना खाने, धूम्रपान करने, चूइंगम चबाने या सामान्य मात्रा से ज्यादा हवा निगलने से उपरी आंतों में अत्याधिक गैस बन सकती है। निचली आंतो में गैस बनने का कारणों में मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं,

ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन जिनको पचाने में कठिनाई हो

गैस का कारण बनने वाले भोजन का सेवन

कॉलन (आंत्र संबंधी) में पाए जाने वाले बैक्टीरिया का विघटन

इनसे अन्य भंयकर रोग आदि भी बन सकता है।
इन उत्तराखण्ड फार्मूला की औषधियों सर्वश्रेष्ठ सामग्री को सेवन करने से सभी पेट के रोगों को नष्ट करके पाचन शक्ति को बढा कर तन्दुरुस्ती कायम रखेगा

चिकित्सा योग्यता संवैधानिक है।

FORMULA NO.15

For Hernia and Tumour

When distorted intestine, fat, vats, and fluid etc. are upset from their positions, they capture another position called Hernia in Ayurveda.

These are various types:
Testicles are enlarged due to fluid, air, fat and mass. causing pain, inflammation, somniferous enlargement. Tumour, fat, neoplasms in testis. Distorted vats and fluid are also able to make Tumour like testis.
The medicinal contents of this formula are very useful in Hernia and Tumour. Also, prevent recurrence of Hernia and Tumour.

​THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

FORMULA NO.16

For Eye-Diseases and Psychiatric Disorders

There are various causes which create various types of eye diseases. Such as weakness of musculature of the eyeball, optic nerve, brain, excess of mental burden, more study burden, to see microscopic things, more constipation, cold, Corezya, under psychiatric problems, excessive use of Tabasco and Alcohol, Ageing, strong head injury etc. Short eyesight and distant eyesight weakness, unable to see small words, darkness, mud headache, tiredness during Beaming and to see small things, spectacles at a small age. Night blindness, Epiphora, itching sensation in eye, mental weakness to forget the things, restlessness, vertigo. The medicinal contents of this formula are very useful in psychiatric problems. It tones up the brain and heart and improves the eyesight and removes me spectacles and makes the body healthy.
​​THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

FORMULA NO.17

Shilajit, a treasure of Ayurvedic properties Shilajit, benefits of ayurvedic properties, earned benefits, medicinal uses:

In traditional Indian Ayurveda, surgery was used for centuries. The elements present in it are beneficial in many diseases. It was originally found in India and Tibet, but now it is found in countries other than India and Tibet. Hydrate is a sticky substance that is found mainly in the rocks of the Himalayas.
Shilajit literally means conquering the hills, but Shilajit has not only won the hills, but it has proved that it can eliminate all the diseases. The use of Shilajit helps reduce sexual vulnerability, especially for sexual energy. It naturally reduces infertility and enhances fertility. Ace is an effective and effective treatment for many disorders such as libido and sperm levels, failure to straighten up, female sexual inability, etc. This “Kamasutra” is also mentioned in the name of “Indian” in Viagra.
“In addition to sexual health, it is also useful in reducing stress and providing fasting and strength in the brain, it is also effective in heart and blood disorders such as heart, blood pressure, high blood pressure, high cholesterol level and anemia. Take it, you will know about the benefits of Shilajit
Shilajit is a nectar for us Shilajit can eat anytime in our life It is also very beneficial for children.

Shilajit is considered one of the most important substances in Indian Ayurvedic medicine. It has been used for thousands of years for prolonged and many other diseases. Shilajit is a thick, black-brown mineral charcoal, which gets out of the cracks in the Himalayan Mountains when temperatures rise in the summer. Shilajit is made up of centuries old, decomposed plants which are powerful sources of vitamins, minerals, and other nutrients. This is a powerful adaptation, which helps prevent all kinds of mental and physical stress.  Shilajit offers energy and resurgence:
Over the centuries, practitioners of Ayurvedic medicines have used Shilajit to promote energy and regenerate the body. It gives energy to the body by increasing the work of mitochondria within the body. This herb revitalizes the body with strong antioxidant properties. Due to illness due to fighting free radicals, it repairs the body’s internal damage due to chemicals and other dangerous agents.
2. Promotes Brain Health:
Studies show that there is a special neurotech capacity in it. This incredible nutrient can also be used to treat light cases of Alzheimer’s disease. In addition, Shilajit shows antimicrobial properties.
3 controls the hormone and the immune system:
Another important task of Shilajit is that it controls the various immune systems, such as your immune system and hormone balance.
4. It removes the pain.
5. It acts as a powerful immune system booster.
6. Helps in managing diabetes:
Shilajit can help reduce blood glucose and lipid profile in diabetes.
7. Helps in the prevention and protection of cancer:
Shilajit has been found to be poisonous for various types of cancer, including lungs, breast, colon, ovarian and liver cancer.
8. Reduces inflammation and fights with the virus:
It is effective in reducing gastric ulcer treatment and prevention, and associated swelling.
9. It supports and improves skeletal health.
10. Good for heart and blood:

Due to the high presence of iron found in each dose, it is also effective in the treatment of anemia.1. Helps to break addictions: Due to its unique interaction with other drug substances, the effects of Shilajit addiction have a profound effect on the process. When patients are given opioid, it reduces the actual addiction and reduces withdrawal symptoms.
12. It is widely used as Sexual uplift.

FORMULA NO.18

FOR GOUT AND DISEASES OF VATA ETC.

For Gout and Diseases of Vata etc.
The food especially protein that we eat is digested in the stomach. But due to the reduced digestive power of the stomach, it is unable to properly digest proteins in rich food. More and more uric acid, which is the end product of protein, is produced and directly mixes with blood, elevates blood uric acid and level. During circulation, that uric acid is deposited in diffent joints of body & that is known as Gout. Symptoms as reduced blood circulation, inflammation of joints, painful joints, Tophys formation of fingers joint, Dryness of body, Stiffness of joints, inflammation of body parts, backache, joint pain., knee joint and body ache etc. and permanent functioning of joints. Reduced blood circulation may cause paralysis, hemiplegia etc. The medicinal contents of this formula are very useful in curing and removing the above-written symptoms and make the body healthy.
THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

दर्द, गठिया और लकवा का आयुर्वेदिक पद्धति से फार्मूला

लकवा गठिया के कारण
आयुर्वेदिक के अनुसार, ‘गठिया एक वात रोग है जिसका कारण कॉन्सटिपेशन, गैस, एसिडिटी, अव्यवस्थित जीवनशैली और अनियमित खान-पान आदि में से कुछ भी हो सकता है। कई बार शारीरिक श्रम कम होने और मानसिक श्रम अधिक होने के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।’

लकवा गठिया के लक्षण
इस रोग में घुटनों व शरीर के दूसरे जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है जिसमें यदि असावधानी बरतें तो यह आगे चलकर उंगलियों व जोड़ों में सूजन और लाल रंग का घाव उत्पन्न कर देता है। इतना ही नहीं, अनदेखी करने पर इससे हाथ-पैर टेढ़े हो जाते हैं। इस बीमारी में हाथ व पैर को हिलाना भी मुश्किल हो जाता है। हाई बीपी बनकर और लकवा भी हो जाता हैं

आयुर्वेदिक चिकित्सा

दर्द गठिया लकवा के लिए आयुर्वेदिक प्रमुख औषधियों का फार्मूला और तेल की मालिश से उपचार में जितनी जरूरी इसकी चिकित्सा है, उतने ही जरूरी परहेज भी हैं। रोगी के लिए विशेष प्रकार की ओषधियाँ इसके अलावा लक्षणों व रोग की गंभीरता के आधार पर उपचार किया जाता है।’
इस उत्तराखण्ड फार्मूले की औषधीय सर्वश्रेष्ठ सामग्री दर्द गठिया और लकवा रोग कोहमेशा के लिए ठीक करती है, और शरीर को स्वस्थ भी बनाती है।

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोगों को हमेशा के लिए जड़ से नष्ट करके शरीर को शुध्द और शरीर को सोने जैसा बना देगा । 

चिकित्सा योग्यता संवैधानिक है।

FORMULA NO.19

AYURVEDIC SPECIAL JOHAR ISHQ AMBAR

Ayurvedic Special Johar Ishq Ambar
Most of the males are suffering from these symptoms, like tiredness after one or two intercourses, Delayed erection of the penis, etc which occur due to excessive use of narcotic drugs and doing intercourse after taking drugs, excessive intake of spicy and hot things, masturbation, and pollution etc. are the causes which increase the heat of our body and seminal discharge becomes watery. The amount of discharge also decreases. The time period of intercourse is reduced and results in early discharge. There is no satisfaction of sex between male and female. Special Johan Ishq Ambar is very useful in these problems and man can do 4-5 times intercourse in the same night without any tiredness or laziness. This medicine is useful in increasing the density of semen and also improves the erection of the penis. During intercourse, the male and female get properly satisfied.  The method and quantity of taking medication are confidential:

 (1) Johar lshak Amber (2) Anand buti (3)Elaichi
DIRECTION:- Take this medicine with milk or water in the morning & evening for 40 to 60 days

पुरुष समस्या को ठीक करें और बिस्तर में अधिक समय तक रहें

शरीर की अन्य समस्याओं की तरह शरीर संबंधी समस्याएं भी आम हैं। इन्हें छिपाने के बजाय इनका समाधान ढूंढ़ना चाहिए। किसी व्यक्ति के जीवन में समस्याएं उसके असुखद व असंतोषजनक अनुभव होने के बाद भी हो सकती हैं। सामान्यत: जो पुरुसो मे कीसी भी तरह की कमजोरी नहीं हैं, उनका शादीशुदा और सामाजिक जीवन हमेशा खुशहाल रहता है। इसलिए किसी भी तरह की कमजोरी पुरुषों में आत्मविश्वास की कमी का कारण बन सकती है। पुरुषों में पाई जाने वाली ये कमजोरियो के कारण व्यक्ति हीन भावना, मानसिक तनाव (डिप्रेशन) का शिकार हो जाता है।

आज हम आपको बता रहे हैं पुरुषों में कमजोरी पैदा करने वाली समस्याओं को खत्म करने के लिए नुस्खे। ये इस समस्या में रामबाण की तरह काम करते हैं। ये समस्या के बारे में कैसे बात करें, समस्याओं का निदान एवं उनसे से जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के उपाय आयुर्वेद में उपलब्ध है जिनसे इन सभी समस्याओं क़ो जड़ से मिटाया जा सकता है और इसका (स्थायी) इलाज हो सकता है | लेकिन लगभग अधिकांश लोगों के जीवन में एक समय ऐसा आता है, जब वह कठिनाईयों को अनुभव करते हैं। आइए कुछ आम चिंताओं और उनके समाधान के बारे में जानें।

हमारी लाइफस्टाइल का इस परेशानी से सीधा संबंध होता है। शारीरिक समस्या में हम कई बार दवाइयों की दुकान में मिलने वाली अंग्रेजी दवाइयों का प्रयोग कतरे हैं पर ये दवाइयां जब तक खाते हैं तब तक ही उनका फायदा मिलता हैं, अंग्रेजी दवाई समस्या का जड़ से इलाज नहीं करती बल्कि शरीर में साइड इफेक्ट करती है, जैसे की लीवर, किडनी, ह्रदय, को बिगड़ना| इनके बार बार सेवन सें आदि हो जाते है और बची हुइ शक्ति को भी गँवा बैठते है|

हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति मैं आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का वर्णन है जिनका सेवन करके हम किसी भी रोग को जड़ से मिटा सकते है|  कमजोरी जैसी समस्याओं से जड़ से छुटकारा पा सकते है।

(1) जौहर इश्क अम्बर 
(2) आनंद बूटी
(3) इलाइची

रोग और आयु के अनुसार ओषधि का वजन जिसके सही उपयोग और मात्रा से ही समस्याओं का जड़ से इलाज हो सकता है
हमारे राजवैद्य जी से संपर्क करें

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोगों को हमेशा के लिए जड़ से नष्ट करके शरीर को शुध्द और शरीर को सोने जैसा बना देगा

चिकित्सा योग्यता संवैधानिक है।

FORMULA NO.20

FOR PILES AND FISTULA

For Piles and Fistula
Piles develop due to more intake of hot, spicy food, non-vegetable meal, Hsh in summer. Use of strong laxative causes dryness of intestines and decreases the Peristaltic movement of the intestine causing constipation. Piles are of two types – Internal Piles and External Piles. Symptoms like constipation, Mucus developed causing pain and burning sensation, itching, bleeding, prolapse of mucus etc. Fistula, Rectal prolapse, Prolapse of the vagina and rectum in females. The medicinal contents of this formula is very useful in Internal, External piles and Fistula. This formula treats and eradicates the above disorders. 
THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

बवासीर या पाइल्स या (Hemorrhoid / पाइल्स या मूलव्याधि) एक ख़तरनाक बीमारी है। बवासीर 2 प्रकार की होती है। आम भाषा में इसको खूनी और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है। कहीं पर इसे महेशी के नाम से जाना जाता है।

1- खूनी बवासीर :- खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिर्फ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाता है।
2-बादी बवासीर :- बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है। जिससे असहाय जलन और पीड़ा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अँग्रेजी में फिस्टुला कहते हें। फिस्टुला प्रकार का होता है। भगन्दर में पखाने के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम कैंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।


कारण
कुछ व्यक्तियों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है। अतः अनुवांशिकता इस रोग का एक कारण हो सकता है। जिन व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहना पड़ता हो, जैसे बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों,- जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। कब्ज भी बवासीर को जन्म देती है, कब्ज की वजह से मल सूखा और कठोर हो जाता है जिसकी वजह से उसका निकास आसानी से नहीं हो पाता मलत्याग के वक्त रोगी को काफी वक्त तक पखाने में उकडू बैठे रहना पड़ता है, जिससे रक्त वाहनियों पर जोर पड़ता है और वह फूलकर लटक जाती हैं। बवासीर गुदा के कैंसर की वजह से या मूत्र मार्ग में रूकावट की वजह से या गर्भावस्था में भी हो सकता है।

और
लक्षणात्मक बवासीर का सटीक कारण अज्ञात है। इसके होने में भूमिका निभाने वाले कारकों में अनियमित मल त्याग आदतें (कब्ज़ या डायरिया), व्यायाम की कमी, पोषक कारक (कम-रेशे वाले आहार), अंतर-उदरीय दाब में वृद्धि (लंबे समय तक तनाव, जलोदर, अंतर-उदरीय मांस या गर्भावस्था), आनुवांशिकी, अर्श शिराओं के भीतर वॉल्व की अनुपस्थिति तथा बढ़ती उम्र शामिल हैं। अन्य कारक जो जोखिम बढ़ाते हैं उनमें मोटापा, देर तक बैठना, या पुरानी खांसी और श्रोणि तल दुष्क्रिया शामिल हैं।  हालांकि इनका संबंध काफी कमजोर है।
गर्भावस्था के दौरान भ्रूण का उदर पर दाब तथा हार्मोन संबंधी बदलाव अर्श वाहिकाओं में फैलाव पैदा करते हैं। प्रसव के कारण भी अंतर-उदरीय दाब बढ़ता है। गर्भवती महिलाओं को शल्यक्रिया उपचार की बेहद कम आवश्यकता पड़ती है क्योंकि प्रसव के पाद लक्षण आमतौर पर समाप्त हो जाते हैं।

परिचय
होमोरोइड या अर्श गुदा-नाल में वाहिकाओं की वे संरचनाएं हैं जो मल नियंत्रण में सहायता करती हैं। जब वे सूज जाते हैं या बड़े हो जाते हैं तो वे रोगजनक या बवासीर हो जाते हैं। अपनी शारीरिक अवस्था में वे धमनीय-शिरापरक वाहिका और संयोजी ऊतक द्वारा बने कुशन के रूप में काम करते हैं।
बवासीर दो प्रकार की होती है – खूनी बवासीर और बादी वाली बवासीर। खूनी बवासीर में मस्से खूनी सुर्ख होते है और उनसे खून गिरता है जबकि बादी वाली बवासीर में मस्से काले रंग के होते है और मस्सों में खाज पीडा और सूजन होती है। अतिसार, संग्रहणी और बवासीर यह एक दूसरे को पैदा करने वाले होते है।
मनुष्य की गुदा में तीन आवृत या बलियां होती हैं जिन्हें प्रवाहिणी, विर्सजनी व संवरणी कहते हैं जिनमें ही अर्श या बवासीर के मस्से होते हैं आम भाषा में बवासीर को दो नाम दिये गए है बादी बवासीर और खूनी बवासीर। बादी बवासीर में गुदा में सुजन, दर्द व मस्सों का फूलना आदि लक्षण होते हैं कभी-कभी मल की रगड़ खाने से एकाध बूंद खून की भी आ जाती है। लेकिन खूनी बवासीर में बाहर कुछ भी दिखाई नहीं देता लेकिन पाखाना जाते समय बहुत वेदना होती है और खून भी बहुत गिरता है जिसके कारण रकाल्पता होकर रोगी कमजोरी महसूस करता है। रोगजनक अर्श के लक्षण उपस्थित प्रकार पर निर्भर करते हैं। आंतरिक अर्श में आम तौर पर दर्द-रहित गुदा रक्तस्राव होता है जबकि वाह्य अर्श कुछ लक्षण पैदा कर सकता है या यदि थ्रोम्बोस्ड (रक्त का थक्का बनना) हो तो गुदा क्षेत्र में काफी दर्द व सूजन होता है। बहुत से लोग गुदा-मलाशय क्षेत्र के आसपास होने वाले किसी लक्षण को गलत रूप से “बवासीर” कह देते हैं जबकि लक्षणों के गंभीर कारणों को खारिज किया जाना चाहिए। हालांकि बवासीर के सटीक कारण अज्ञात हैं, फिर भी कई सारे ऐसे कारक हैं जो अंतर-उदर दबाव को बढ़ावा देते हैं- विशेष रूप से कब्ज़ और जिनको इसके विकास में एक भूमिका निभाते पाया जाता है। उनके जीवन काल में किसी न किसी समय बवासीर की समस्या होती है।


रोग के अनुसार आयुर्वेद प्रमुख ओषधियाँ का फार्मूलाके सेवन करने से बवासीर खूनी या बादी और भगन्दर तथा ऊपर लिखे रोगों को जड़ से नष्ट करके दुबारा पैदा नहीं होने देगा ।

चिकित्सा योग्यता संवैधानिक है।

FORMULA NO.21

AYURVEDIC SPECIAL SADA-MASTANA PILLS

Ayurvedic Special SADA-MASTANA PILLS
This formula is a complex of various precious herbs. Some males hurt their body by their own hands and invite various problems. Such as excessive drinking, intercourse with prostitutes, masturbation, Sodomy. Early old age, Diabetes Mellitus, fatness, etc. are the causes of recurrent discharge of penis, Reduced Blood supply of penis, Divined and shortness of Penis, loss of erection power, Flabbiness of Penis, mental weakness etc. develop. If these are not treated early, more serious problems also develop such as loss of erection power, loss of libido. Then both male and female are not able to satisfy each other. When sperm count reduces, Oligospermia, necrospermia develop known as impotence. The Sada Mastani Pills are very useful in these disorders and remove the above-shown diseases and improve the sexual power into old age. These pills are also used with other formulae which increases its potency many times. 
The method and quantity of taking medication is confidential

(1) Sada mastana pills (2) Mardana Sakti Swarn Roj (3) 172 Butika Churan

Direction: take this medicine with butter or milk for 60 days

राजा- महाराजा सेक्स पावर बढ़ाने के लिए करते थे इन जड़ी बूटियों का सेवन, आप भी जानें

भारत के इतिहास में बहुत सारे असंख्य राजा और रानियों का लेखा मिलता है इन सब शासकों में से बहुत सारे शासकों ने महान लड़ाया लड़ी जो हमारे भारत के इतिहास आज भी दर्ज हैं उन्होंने बहुत सारी लड़ाइयां करके अपनी राज्य की रक्षा की वैसे इन राजा और रानियों की निजी जिंदगी भी कुछ दिल चिप्स रही है कुछ शासकों ने अपने शासनकाल के दौरान अपनी निजी जिंदगी को परदे के पीछे छुपाए रखा है पर पर कहते हैं ना  की कहावत में कहा गया है कि दीवारों के भी कान होते हैं तो उसी को चलते हुए हमें यह पता इतिहास सने लग वाया है कि उनकी निजी जिंदगी में भी बहुत से दिलचस्प  नजारे बनाए थे  आखिरकार इन चार दीवारों के अंदर के राज बाहर आ ही गए दरअसल राजा महाराजा शादियां  इसलिए करते थे या बहुत सारी रानियां इसलिए रखते थे ताकि वह अपना निजी स्वार्थ ने शरीर की प्यास बुझा सके यह अक्सर उनका शौक रहा था कि वह कई रानियों के साथ शारीरिक संबंध बनाए

पुराने समय में राजा महाराजा अपने शारीरिक संबंध को पर उचक बनाने के लिए या सब श्रेष्ठ बनाने के लिए बहुत सारी शादियां करते थे और फिर अपनी रानियों को अलग-अलग तरह से  शारीरिक संबंध में नि श्रेष्ठ  करते थे जिसके चलते वह हर एक रात एक रानी के साथ बिताया करते थे और वह रानियां अपने शौहर के लिए अलग-अलग तरह से अपने राजा को खुश करने की कोशिश करती थी जो ज्यादा ढंग से अच्छे तरीके से राजा को खुश करती थी राजा फिर उसी को वे ज्यादा शारीरिक संबंध बनाने में उस रात को राजा उस रानी के ऊपर निछावर कर देते और फिर पूरी रात अपने शो को मैं बिताया करते थे  हर दिन नई तरकीब लगाकर अलग-अलग तरह से राजा को खुश करने पर ही रानी का रात का आराम उनके कक्ष में बिताया  जाता था  

सेक्स पावर को बढ़ाने के लिए पुराने जमाने में राजा महाराजा बहुत अलग तरह के नुस्खे इस्तेमाल किया करते थे 

राजा- महाराजा सेक्स पावर बढ़ाने के लिए करते थे इन जड़ी बूटियों का सेवन, आप भी जानें

आयुर्वेदक आपने कई बार कथा- कहानियों में या फिर इतिहास में पढ़ा- सुना होगा कि पहले के जमाने में राजा- महाराजा कई शादियां किया करते थे. इसके पीछे कई कारण हो सकते थे. किसी दूसरे राज्य के साथ संधि करना या फिर अपनी मर्दानगी को दिखाने के लिए. लेकिन इन रानियों को शारीरिक रूप से संतुष्ट रखने के लिए राजा कड़ी मेहनत भी करते थे. सभी रानियों के साथ वैवाहिक जीवन अच्छे से गुजरे इसलिए वह अपनी शारीरिक शक्ति को बरकरार रखने के लिए अपने खास वैद्य और हकीम द्वारा बनाए गए कई तरह की जड़ी- बूटियों और आयुर्वेदिक नुस्खों का इस्तेमाल किया करते थे.

राजा- महाराजा सेक्स पावर बढ़ाने के लिए करते थे इन जड़ी बूटियों का सेवन, आप भी जानेंउनके यहां रहने वाले राजवैद्य जी और हकीम जी आयुर्वेदिक ग्रंथों के आधार पर जड़ी- बूटियों, रस, रसायनों और सोना, चांदी, मोती भस्म, वंग भस्म जैसी धातुओं से शारीरिक दुर्बलता को दूर करने के लिए और उनकी स्टेमिना बढ़ाने के लिए औषधि तैयार किया करते थे.
आज हम आपको उन्हीं प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी- बूटियों और औषधियों के बारे में बताने की कोशिश करेंगे, जो आपकी भी सेक्स पावर बढ़ाने में मददगार साबित होगा.
चलिए जानते हैं उन जड़ी- बूटियों के बारे में

पुराने जमाने में राजा महाराजा अधिकतर अपनी सेक्स पावर को बढ़ाने के लिए क्या 100 से भी अधिक रानियों को खुश करने के लिए एक अचूक या आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का सेवन किया करते थे जिनका सेवन करने से वे बहुत अच्छा महसूस करते थे और अपनी शारीरिक संबंध को क्या अपनी सेक्स पावर को बहुत ही ज्यादा मात्रा में कठोर बना लेते थे जिसके चलते वे आराम से अपनी रानियों को सेक्स का भरपूर मजा देते थे इन जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करके पुराने जमाने में राजा महाराजा अपने जवान रहने की शक्ति को भी बढ़ा देते थे  जिसके चलते हुए बहुत लंबे समय तक जवान हे शरीर को कठोर बना देते थे

पुराने समय में कोई डॉक्टर नहीं हुआ करते थे जैसा कि हम सभी जानते हैं लेकिन कुछ विशेषज्ञ प्रकार के राजवैद्य जी थे जो आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से सब का उपचार किया करते थे आयुर्वेदिक ग्रथ के अनुसार ऊर्जा बूटीयों के रस और आयुर्वेदिक भस्म  से सेक्स पावर दवाइयां जड़ी बूटियों आयुर्वेदिक औषधि से तैयार  करते थे और अक्सर यह भी हमने सुना हैं कि इन राजाओं के औषधियों में या जड़ी बूटियों में कुछ महंगे स्वर्ण भस्म रत्नहिया मोती शामिल किए जाते थे

आज के समय में हम यह जानते ही हैं कि हम इन दवाइयां को कहां से लाए तो हमारे राजवैद्य जी से सम्पर्क करें जिसके चलते इनको आयुर्वेदिक नुस्खे को खाकर आप अपनी सेक्स पावर को प्राकृतिक रूप से बढ़ा सकते हैं और बुढापे तक सेक्स का भरपूर आनंद उठा सकते हैं।

इन उत्तराखण्ड की सर्वश्रेष्ठ औषधियों को सेवन करने से अनेक भंयकर रोग उत्पन्न नहीं होने देगा

और शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) बढा देगा

औषधि :

(1) सदा मस्तानी पिल्स

(2) मर्दाना शक्ति स्वर्ण रोज

(3) 172 बूटी का चूर्ण

रोग अनुसार ओषधियों कि मात्रा और कोर्स हमारे विशेषज्ञ राजवैद्य जी बतायेंगे आप सम्पर्क करें

FORMULA NO.22

AYURVEDIC SPECIAL PANCHRATAN

Male and Female both can use Panchratan in any age. Spedal Panchratan can cure and eradicate various following serious disorders like Cardiac diseases, hypertension, Diabetes Mellitus, Asthma, Psychiatric problems, Paralysis, High Uric Acid in blood, Gout, Fattiness, Hi-cholesterol, Lecorrhia etc. develops body weakness, digestive power decreases. Loss of appetite, Aplastic anemia, Jaundice, Emaciated body, weakness in sexual power in males, retaining the power of brain down, laziness of body. All the above problems are cured by this formula which develops fresh blood, keeps the body healthy. This formula can also be used by healthy individuals, and forever immunity develops against the above disorders. Sexual power of man makes persistence unto old age.

​​THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

FORMULA NO.23

थायराइड के लक्षण कारण व उपचार

Thyroid Symptoms in HindiThyroid गले में स्थित एक ग्रंथि (gland) का नाम है। यह ग्लैंड गले के आगे के हिस्से में मौजूद होता है और इसका आकार एक तितली के समान होता है। यह बॉडी के कई तरह के metabolic processes* को control करने के काम आता है।

शरीर में होने वाले कैमिकल रिएक्शनस को जो हमारे जीवन के लिए ज़रूरी हैं थायराइड की समस्याएं क्या होती हैं? / Thyroid Problems in Hindi?

Thyroid Gland से produce होने वाले hormones शरीर में होने वाले सभी मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को affect करते हैं। थायराइड disorders से घेंघा जैसी छोटी बीमारी से लेकर जानलेवा कैंसर तक हो सकता है। लेकिन जो सबसे common थायराइड प्रॉब्लम होती है वो है थायराइड हॉर्मोन्स का सही मात्रा में प्रोडक्शन ना होना। इसमें दो तरह की समस्या आती है-

  • Hyperthyroidism (हाइपरथायरायडिज्म / अतिगलग्रंथिता ): ज़रुरत से अधिक hormones का पैदा होना
  • Hypothyroidism (हाइपोथायरायडिज्म / अवटु-अल्पक्रियता): ज़रूअत से कम हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन होना

इन  समस्याओं की वजह से कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं, लेकिन अगर सही से diagnose करके इलाज किया जाए तो इन्हें अच्छे से manage किया जा सकता है थाइरोइड ग्लैंड से निकलने वाले hormones शरीर के लगभग सभी हिस्सों को प्रभावित करते हैं, skin, brain, muscles, कुछ भी इससे अछूता नहीं है। इनका सबसे एहम काम होता है बॉडी द्वारा use हो रही energy को कण्ट्रोल करना, जिसे हम metabolism के नाम से जानते हैं। इसमें दिल कैसे धड़कता है, body का temperature कैसे कंट्रोल होता है और हम कैसे अपनी कैलोरीज बर्न करते हैं; ये सब शामिल है।


पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को hyperthyroidism होने की सम्भावना 5 से 10 गुना अधिक होती है।
ये हाइपरथायरायडिज्म होने का सबसे आम कारण है। ये एक तरह की autoimmune condition होती है जिसमे हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम एक antibody create करता है जिसे कारण थायराइड ग्लैंड अधिक मात्र में थायराइड hormone release करने लगता है। यदि परिवार में किसी एक व्यक्ति को ये बीमारी है तो और लोगों को भी समस्या हो सकती है। आमतौर पर ये प्रॉब्लम कम उम्र की औरतों को होती है।

2. Thyroiditis / थाइरोइडाइटिस
थायराइड की सूजन को थाइरोइडाइटिस कहते हैं। Thyroiditis में  किसी वायरस या इम्यून सिस्टम में प्रॉब्लम की वजह से थायराइड ग्लैंड में स्वेलिंग हो जाती है और वो bloodstream में hormone leak करने लगता है।
Thyroiditis कई प्रकार का हो सकता है:

Subacute / सबऐक्यूट ​ (किसी अनजान कारण से अचानक होने वाला Thyroiditis, जो कुछ महीनो बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है।)
Postpartum/ प्रसवोत्तर​ (इस तरह की Thyroiditis महिलाओं को प्रेगनेंसी के बाद affect करती है। बच्चा पैदा होने के बाद 10 में से 1-2 महिलाओं को ये समस्या हो जाती है।) आमतौर पर ये problem एक-दो महीने तक बनी रहती है और उसके बाद कुछ महीनो तक hypothyroidism की समस्या पैदा हो जाती है।
Silent / साइलेंट​ (ये प्रसवोत्तर थ्य्रोदितिस की तरह ही होता है)

3. Thyroid nodule / थायराइड नोड्यूल
इस समस्या में थायराइड ग्लैंड में एक या उससे ज्यादा ल्म्प्स या नोड्यूल grow हो जाते हैं जिसे ग्लैंड की एक्टिविटी बढ़ जाती है और आपके खून में अधिक मात्रा में थायराइड हॉर्मोन release होने लगता है।
दरअसल, हमारी बॉडी थायराइड हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन का प्रयोग करती है और जब उसे ये अधिक मात्र में मिलने लगता है तो हॉर्मोन भी अधिक बनने  लगता है और ये प्रॉब्लम हो जाती है।​4. Thyroid medications थायराइड मेडिकेशन
अधिक मात्र में थायराइड hormone medication लेने से भी hyperthyroidism हो सकता है। यदि आपका  hypothyroidism का इलाज चल रहा है तो कभी भी बिना वैध से पूछे दवा का extra dose न लें, भले ही आप पहले दवा खाना भूल गए हो

हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण / Hyper- Thyroid Symptoms in Hindi
अक्सर hyperthyroidism के लक्षण बहुत साफ़ नहीं होते और अन्य बीमारियों से मिलते जुलते होते हैं। अगर आपको बहुत mild form of hyperthyroidism है तो संभव है कि आपको कोई भी लक्षण दिखाई ना दे। लेकिन जब ये समस्या होती है तब आपको रोज-मर्रा की चीजें करने में परेशानी होती है। ज्यादातर मरीजों में थायराइड बड़ा हो जाता है, जिसे हम घेंघा या goitre भी कहते हैं। ऐसे में आपको गले के अगले भाग में एक लम्प दिखाई या महसूस होता है। इसके आलावा hyperthyroidism के ये symptoms हो सकते हैं:

  • चिंता, घबराहट और चिड़चिड़ापन
  • भूख बढ़ने के बावजूद वजन का कम होना
  • मल त्यागने की frequency बढ़ना और ढीली टट्टी होना
  • सोने में दिक्कत होना
  • दोहरी दृष्टि की समस्या होना
  • आँखों का बाहर निकलना
  • बालों की समस्या जैसे की टूटना, पतला होना और झड़ना
  • Heart beat का irregular होना, खासतौर से वृद्ध लोगों में Menstrual cycle में बदलाव होना, जिसमे हल्का खून निकलना औ periods की frequency कम होना शामिल है।
  • मांसपेशियों में कमजोरी, विशेष रूप से जांघों और ऊपरी बाहों में उँगलियों के नाखुनो का तेजी से बढ़ना
  • हाथों का कांपना
  • पसीना आना
  • त्वचा का पतला होना

FORMULA NO.24

To get rid of Acne:

Acne is a skin condition that appears as white, black and burning red spots. Usually acne occurs when oily glands on our skin become infected with bacteria. In our body, except for the palms and soles, these oil glands are present on the skin of the entire body. The skin follicles are attached to the cells of these oil glands from within the pores. These follicles produce the perforation sebum, which helps in maintaining the beauty of the skin and the oil balance within it. When there is a hormonal change in our body, the oil balance in the oil glands of our skin deteriorates. Acne starts appearing on our skin only because of this balance deteriorating.

What is acne? (What is Acne?)

Acne is a common skin problem. Nail-acne mostly occurs due to hormonal changes or eating disturbances. There are some diets that cause your skin to become irritated by eating and the problems of nail pimples start. A person’s health depends on Vata, Pitta, Kapha. In this case, the problem of acne starts due to increased bile and phlegm.
The problem of pimples is mostly seen on the face, but along with the face, it also comes out on the back and shoulders. Acne especially on face and back are more common. It never occurs on the palms and soles of the body.
It can start from about 14 years and can go up to 30 years at any time. They are irritating at the time of exudation and even after that, its stains remain on the face.
There are many types of acne-
Papules – These are solid pink grains, which sometimes cause pain.
Pustules – These are small rash.
Nodules – They grow a little deeper on the skin. Their size is large and they also cause pain.
Cyst – They grow more deeply on the skin and they can also cause pain. Many times they leave a stain on the skin after healing.
Whiteheads- They are very small and usually present under the skin.
Blackheads- This can be seen clearly. They are black in color and appear on the surface of the skin.

Why does acne occur? (Causes of Acne)

According to Ayurveda, due to excess of bile and phlegm in the body, acne starts coming out. You will tell about some reasons for acne, which you will be surprised to hear.
-Pimple / acne problems can be genetic. If someone in your family has recurrent pimple then you may also face acne problem.
– Acne also happens due to hormonal changes in the body with increasing age. Women may also have eczema due to hormonal changes occurring in the body during menstruation, pregnancy and menopause.
Sometimes, some medicines associated with stress, epilepsy or mental illness can also cause acne.
– Cosmetic means excessive use of cosmetics can remove acne. Many times women stay in makeup all day and do not remove makeup properly at night. Pimple can also occur due to this. Therefore, women are advised to do light makeup and use natural beauty products.
– Eating bakery foods and high sugar drinks also cause acne. Apart from this, excessive consumption of dairy products, oily things and junk can also cause acne.
– Staying in stress for too long can also cause acne problems. When you are under stress, there are some changes inside your body that cause acne. Actually, stress produces a chemical called neuropratides, which can further exacerbate stress.
-Depending in dusty soil and polluted environment for a long time increases the risk of acne. Apart from this, if you travel more from one city to another, then you may have acne due to the changing weather.
– The secretion released from fat glands stops. This secretion continues from the pores to keep the skin soft. If it stops, it gets collected under the skin in the form of pimples and acne becomes hard when hardened. It is called Acne vulgaris. If it falls in place, then it is called pimple.

Symptoms and Signs of Acne

Acne or acne are a form of pimples, but there are other symptoms as well.
– Whiteheads (closed perforated holes)
Blackheads (open perforated holes)
-Small red, tender bump
Sometimes women start getting acne, gaining weight, hair loss and thinning. But even if these symptoms seem normal, you may have symptoms of not being able to become a mother. So pay attention to these signs ahead of time and handle before infertility occurs.
Usually polycystic ovary syndrome (PCOS) is a disorder that causes infertility in endocrine disorders in women of Indian reproductive age. If a woman is suffering from painful irregular menstruation or acne, she is gaining weight, then understand that PCOS. The name is going through a hormone imbalance.

Lifestyle changes

Do not touch your face all the time. By doing this the bacteria present in the hand can reach the skin of your face and make you a victim of pimples.